ज़ैनब के पिता का दो दिन से कोई पता नहीं, AIPF ने कहा उत्‍पीड़न बंद करे सरकार


सीएए-एनआरसी आंदोलन में सक्रिय रही सामाजिक कार्यकर्ता जैनब सिद्दकी के परिजनों के पुलिस द्वारा किए बर्बर उत्पीड़न और उनके गिरफ्तार 52 वर्षीय पिता के बारे दो दिन से सूचना नहीं दिए जाने की आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आईजी एस. आर. दारापुरी ने कड़ी निंदा की है।

आज जैनब सिद्दकी ने फोन पर अपने परिवारजनों के साथ हुई पुलिस बर्बरता की सूचना देते हुए एआईपीएफ के नेताओं को बताया कि 5 नवम्बर की दोपहर में दो पुलिसवाले उनकी फोटो लेकर उनके घर पहुंचे थे।

उन्‍होंने बताया, ‘’उन्होंने मेरे पिता से मेरे सीएए-एनआरसी आंदोलन में शामिल होने के बारे में पूछा। मेरे पिता ने कहा कि मैं एक एनजीओ में नौकरी करती हूं और आंदोलन में शामिल रहती थी पर मेरे खिलाफ कोई मुकदमा नहीं है। इस पूछताछ के बाद पुलिसवाले लौट गए। शाम को नमाज़ से लौटते वक्त मेरे 52 वर्षीय पिता नईम सिद्दीकी को सादा कपड़ाधारी 10 से 15 लोगों ने घेर लिया और उन्हें पकड़ कर ले जाने लगे। इसका विरोध करने और उनका परिचय पूछने पर मेरी दो नाबालिग बहनों और मां को बुरी तरह मारा पीटा गया और मेरे पिता समेत मेरे 16 वर्षीय नाबालिग भाई मोहम्मद शाद को वह लोग पकड़ कर ले गए। कल काफी दबाव के बाद मार-पीट कर मेरे भाई को छोड़ा गया। उसे पुलिस ने इस कदर आतंकित किया है कि वह अपना इलाज तक कराने को तैयार नहीं है। मेरे पिता के बारे में आज तक पुलिस प्रशासन ने जानकारी नहीं दी कि वह कहां हैं और उन्हें किस अपराध में गिरफ्तार किया गया है।‘’

एआईपीएफ ने जैनब द्वारा बताए तथ्यों के आधार पर जारी बयान में कहा कि योगी सरकार में सीएए-एनआरसी आंदोलन में शामिल रहे लोगों पर लगातार द्वेषवश विधि विरुद्ध कार्रवाइयां हो रही हैं। हाइकोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर पोस्टर हटाने के आदेश के बावजूद सरकार आंदोलन में शामिल लोगों के पोस्टर फिर से शहर में लगवा रही है। उनके घरों पर अवैधानिक वसूली नोटिस दिए जा रहे हैं, गैंगस्टर एक्ट कायम कर उनकी सम्पत्ति कुर्क करने की कार्यवाहियां हो रही हैं।

हद यह है कि जैनब जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं और उनके परिवारजनों पर जिनके विरुद्ध कोई मुकदमा तक नहीं है। राजनीतिक बदले की भावना से पुलिस की उत्पीड़नात्मक कार्यवाही हो रही है। किसी भी गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के सम्बंध में उसके परिजनों को बताना और 24 घंटे में उसे मजिस्ट्रेट के सम्मुख प्रस्तुत करना पुलिस का विधिक दायित्व है जिसे पूरा नहीं किया जा रहा है। योगी राज में पुलिस प्रशासन द्वारा की गई यह उत्पीड़नात्मक कार्रवाइयां लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं हैं।

एआईपीएफ ने मांग की है कि सरकार को इस पर तत्काल रोक लगानी चाहिए और विधि के अनुसार व्यवहार करना चाहिए।

एस. आर. दारापुरी
पूर्व आई.जी.
राष्ट्रीय प्रवक्ता
आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट


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