आधे घंटे की प्रेस वार्ता में 14 बार नीतीश कुमार का नाम! ये ‘राष्ट्रऋषि’ का प्रेम है या…?


आज फिर मंच सजा, परदा उठा और जनता ने देखा कि मंच पर बिहार के सबसे खुर्राट दो राजनेता नीतीश कुमार और सुशील मोदी (जिन्हें लोग प्यार से परमानेंट डिप्टी सीएम भी कहते हैं) मंचासीन हुए- भए प्रकट कृपाला की तरह।

इससे पहले हालांकि इन पंक्तियों के लेखक ने जब भाजपा मुख्यालय के भाईसाब को पकड़ कर पूछा था, ‘’भाईसाब, आप लोगों से जल्दी तो तेजस्वी ने अपनी सीटें भी बांट लीं, घोषणा भी कर दी और तैयारी में भी लग गया। भाजपा 48 घंटे पीछे चल रही है। या इलाही, ये माजरा क्या है?’’ भाईसाब हमेशा की तरह मूंछों में मुस्कुराए और बोले, ‘’लटकन झा से जाकर पूछिए। मुझे पता है, आपका बड़ा याराना है वहां।‘’

इस डायलॉग के मायने आपको तब समझ आएंगे, जब कहानी आगे बढ़ेगी। पहले एक पुरानी कहावत सुनिए। थोड़ी अश्लील है, पर चुनावी माहौल है तो चलेगा। उसका सार यह है कि ससुर को देखकर लाजवंती बहू ने घाघरा उठाकर ही घूंघट कर लिया (यह राजस्थानी कहावत है)। इसके बरक्स मिथिलांचल की एक कहावत है, ‘’छनकल **** के कथी दैन पर हाथ’’। बहरहाल, कथा-सूत्र को पकड़ें।

आज, मंच से आधे घंटे यानी 30 मिनट की प्रेस-वार्ता में कम से कम 14 बार बताया गया कि नीतीश कुमार ही एनडीए गठबंधन के सर्वमान्य नेता हैं, किसी तरह का कोई कंफ्यूजन कहीं नहीं है और भाजपा, जद-यू, जीतनराम मांझी की ‘हम’ और मुकेश सहनी की ‘वीआइपी’ बिल्कुल एकजुट है। पक्का मुहरबंद, सीलबंद जोड़ है और सीटें किसी की कितनी भी आएं या जाएं, ये कतई सोचना ही नहीं है कि अगले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे।

यह बात मंच से सबसे पहले बिहार भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष संजय जायसवाल ने कही। फिर परमानेंट डीसीएम ने कही, बल्कि एक कदम आगे बढ़कर यह भी कहा कि अगर किसी ने पीएम मोदी की फोटो का इस्तेमाल किया तो ठीक नहीं होगा, वह चुनाव आयोग भी चले जाएंगे। फिर बिहार प्रभारी और राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव ने कहा और आखिरकार फिर से परमानेंट डीसीएम ने कहा। बेचारे मराठा-माणूस देवेंद्र फडणवीस बिहारियों के इस खेल-बेल में भकपेलुआ टाइप बैठे रहे।

अब फिर से कथा-सूत्र को पकड़ें। कहा जाता है कि चोर की दाढ़ी में तिनका। यदि गठबंधन इतना ही फेविकोल के जोड़ टाइप अटूट था, तो उसे इतनी बार सफाई देने की क्या जरूरत थी?

आइए, दो मिनट के लिए इस कथा को छोड़कर थोड़ा टहल आते हैं। एक हैं राजेंद्र सिंह। खांटी संघी, प्रचारक जीवन से सार्वजनिक जीवन में लौटे, फिर भाजपा के महामंत्री और झारखंड प्रभारी भी थे, जब वहां बीजेपी जीती थी। रोहतास से इस बार उन्होंने दिनारा सीट चुन ली और खम ठोंक दिया, लेकिन पार्टी लोजपा है यानी चिराग वाली। हाय दैया, घर को आग लग गयी घर के चिराग से। उनका कद कितना बड़ा है, यह इसी से समझ लीजिए कि भाजपा में बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर भी उनको पेश करने तक की बात हो चुकी थी, हालांकि अंतिम वक्त में परमानेंट डीसीएम ने लंगड़ी मार दी। उनका लोजपा में जाना कुछ बेहद खतरनाक संकेत देता है। 

संजय टाइगर अलग फुंके बैठे हैं। नोखा से रामेश्वर चौरसिया भी पार्टी से अपना टिकट कटने पर नाराज हैं। इस बीच फर्स्ट बिहारी चिराग पासवान ने दरवाजे सबके लिए खोल दिए हैं। बिहार में तो यहां तक कहा जा रहा है कि भाजपा की एक ब्रांच लोजपा में शिफ्ट करवायी जा रही है।

हस्तिनापुर के चाणक्य की चतुराई मगध के घाघ ने समझ ली, इसलिए ही 48 घंटों तक जिच चली है। चचा नीतीश को भनक लग गयी है कि गुजरात का सरदार मगध में उसकी अंतिम बाज़ी तय करना चाह रहा है और इसके लिए उसने शकटारों-राक्षसों और अमात्यों को अपनी ओर मिलाना शुरू कर दिया है। खेले-खिलाये नीतीश ने इसी के लिए आज भरे मंच पर चार अलग जिम्मेदार व्यक्तियों से 14 बार वही बात कहलवायी।

इस बीच ‘राष्ट्रऋषि’ अपनी बढ़ी हुई जुल्फों पर हाथ फेरता हुआ, खुद में ही हंसता हुआ सोच रहा है कि मागधी दर्प को उसने तीन तरफ से तो घेर लिया है, लेकिन चौथा रास्ता कहां से बंद किया जाए?

इसका सूत्र फिर से भाईसाब ही देते हैं। वह कहते हैं, ‘’भोजपुरी बुझते हैं न जी। लजाइल लइका ढोंढ़ी टोअत बा। उहे हाल नीतीश जी के ह। वह क्या समझते हैं कि वक्त आएगा तो ये लाइव रिकॉर्डिंग और प्रेस कांफ्रेंस वगैरह के हवाले देना उनको गुजराती गर्व से बचा पाएगा… कतई नहीं। उनके संपूर्ण नाश की पटकथा लिखी जा चुकी है और इस बार नीतीश को ठीक उन्हीं की शैली में जवाब दिया जा रहा है। इतना घूमकर नाक को इसलिए पकड़ना पड़ रहा है क्योंकि साथ ही में परमानेंट डीसीएम को भी निपटाने की तैयारी है, जिन्होंने भाजपा को जेडी-यू का जेबी संगठन बना दिया था…  जाइए, परसाद लेकर जाइएगा… हा हा हा।‘’



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