कोरोना के कारण देश भर में लगाये गये लॉकडाउन के दौरान नागरिक स्वतंत्रताओं पर हमलों व बंदिशों पर पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़, महाराष्ट्र (पीयूसीएल) ने अपने श्रृंखलाबद्ध प्रकाशनों की कड़ी में शुक्रवार को मीडिया पर एक रिपोर्ट जारी की है। लॉकडाउन के दौर में समाचार मीडिया की स्थिति पर अपनी 36 पन्ने की रिपोर्ट में पीयूसीएल ने पत्रकारों की छंटनी, वेतन कटौती से लेकर उनके ऊपर हुए मुकदमों का एक संक्षिप्त खाका प्रस्तुत किया है।
कबि, मिहिर देसाई, संध्या गोखले, लारा जेसानी, चयनिका शाह, वेंकटेश नारायणन और पीसूसीएल महाराष्ट्र के अन्य सदस्यों के सहयोग से गीता शेषु की लिखी इस रिपोर्ट में समाचार स्रोतों के माध्यम से मीडिया की आज़ादी और भूमिका पर प्रकाश डाला गया है।
रिपोर्ट में मोटे तौर पर दो हिस्से हैं: बाहर से मीडिया पर पड़ने वाले दबाव और मीडिया के आंतरिक दबाव। बाहर से पड़ने वाले दबावों में सरकार के लागू किये नियम कानूनों, लॉकडाउन में कवरेज पर दमन, कश्मीर, इंटरनेट की पाबंदी, पर्यावरणीय अभियानों पर दमन और विज्ञापन नीति आदि की चर्चा है।
मीडिया के आंतरिक संकटों में कवरेज के मामले में मीडिया संस्थानों में आया वैचारिक विभाजन, पालघर लिंचिंग केस की कवरेज का उदाहरण, छंटनी, वेतन कटौती और कानूनी बंदिशें शामिल हैं।
पूरी रिपोर्ट नीचे देखी जा सकती है।
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