राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने गुजरात के मुख्य सचिव को राज्य के एक वकील के एक ‘’फर्जी केस में फंसाये जाने’’ के मामले में नोटिस जारी किया है। मुख्य सचिव को चार सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया गया है।
अधिवक्ता बिलाल काग़ज़ी सूरत की मंगरोल तहसील के कोसाम्बा के निवासी हैं जिन्होंने अपने खिलाफ़ दर्ज किये गये एक आपराधिक मामले के संबंध में ह्यूमन राइट्स डिफेन्डर्स अलर्ट (HRDA) से संपर्क कर के उनको चिट्ठी लिखी थी। इसके बाद एचआरडीए ने सितम्बर 2019 में मानवाधिकार आयोग को शिकायत भेजी थी।
11-2019-09-18-HRDA-UA-South-Gujarat-False-and-fabricated-case-filed-against-human-rights-defender-and-Advocate-Bilal-Kagziइसी के आधार पर बीते 17 अगस्त को आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस भेजा है।
Bilal-17-Augustमामला 12 अगस्त, 2019 का है जब काग़ज़ी सहित सात अन्य के खिलाफ़ एक मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में शिकायतकर्ता ने कहा था कि काग़ज़ी ने दूसरों के साथ मिलकर उसकी हत्या करने का प्रयास किया जबकि उस दिन बकरीद का त्योहार था और बिलाल अपने घर पर थे और घटनास्थल से काफी दूर थे। आयोग को भेजी शिकायत में कहा गया कि काग़ज़ी का नाम बाद में एफआइआर में जोड़ा गया क्योंकि शिकायतकर्ता के खिलाफ कई मामलों में वे आरोपियों की पैरवी कर रहे थे।
इस शिकायत के बाद आयोग ने सूरत के पुलिस अधीक्षक से एक्शन टेकेन रिपोर्ट जमा करने को कहा था। रिपोर्ट नीचे देखी जा सकती है।
2020-08-03-F.No_.59-2019-Lr.from-NHRC3बिलाल काग़ज़ी ने जनपथ से बात करते हुए बताया, ‘’मुझे सूरत पुलिस ने परेशान कर रखा है। काम नहीं करने दे रही है।‘’
बिलाल कहते हैं, ‘’नौ महीने में मेरे ऊपर चार मुकदमे दर्ज किये गये हैं। इनमें तीन हत्या के प्रयास के केस हैं। एक केस पुलिस के काम में रुकावट से जुड़ा है जिसमें कहा गया है कि मैंने थाने जाकर दस पुलिसवालों को जान से मारने की धमकी दी। मेरे खानदान में किसी ने पिस्टल तक नहीं देखी है आज तक और इन्होंने फायरिंग का आरोप लगा दिया।‘’