पंडित नेहरू ने आज़ादी की रात Tryst With Destiny का जो मशहूर भाषण दिया था, यदि वह अवधी में होता तो कैसा सुनाई देता? अखिलेश सिंह ने उस ऐतिहासिक भाषण का अंग्रेज़ी से अवधी में अनुवाद किया है। अखिलेश की पैदाइश फ़ैज़ाबाद की है और वे दिल्ली में नौकरी करते हैं। पढ़ा जाए अवधी में नेहरू जी को।
संपादक
आज के यहि पवित्तर मौका पर सबसे नीक बात इहे अहै कि हम सभै भारत देस औ हियाँ के सब मानुस के सेवा की ताईं जुहाइ कै किरिया उठावा जाय।
बहुत साल पहिले हमरे सब अपनी क़िस्मत से क़रार किहे रहेन, अव अब ऊ दिन आइ गवा हय जब हम सब कय संकलप पूर होय वाला हय, ई चीज एकदम न से न होइ जाये, पूरा-पूरा न होये, लकिन काफ़ी हद तक होये। आधी राति का जब घड़ी कै सुई सीधी होइ जाये औ जब पूरी दुनिया सोवत होये तब हिंदुस्तान नई जिंदगी औ आज़ादी मा जाग जाये।
मौक़ा आवत हय, लकिन इतिहास मा बहुत कम अइसन मौका आवत हय, जब हम सभे पुरान चीजन से निकर कय नई चीजन का अपनावा जात हय, जब कौनो जुग बीतत है, औ यक अइसन देश कय आत्मा बोलइ क मौका पावत हय जेहका जुग-जुग से सतावा गवा होय।
आज़ादी और ताक़त अइसन नाही आवत है, वोकरे साथे कुछ जिम्मेदारिव आवत है। औ ई जिम्मेदारी यहि सभा-पंचाइत के उप्पर है, काहे से कि ई सभा-पंचाइत आज़ाद लोगन कै अगुवाई करय वाली आज़ाद सभा आय। आज़ादी के जनम के पहिले हम सभै बहुत घिरनी घिसा गवा, बहुत झेला गवा औ हम सबके करेजे मा वहि बात का लइके भारी हूँक अहै। बहुत सारे दुःख तकलीफ़ अबहिनो बना अहैं। लकिन तब्बो, अब गुज़री चीज गुजरि गय अव अब आगे कै देखय का हय।
आवै वाला समय आराम करै या रुकि जाय की ताईं नाही अहै बलुक लगातार हुलुम्मा लगावै कय आय ताकी जउन कसम पहिले लीन गय रहा अव जउन आज लीन जात अहै, ऊ दुइनो पूर होय सकय।
भारत कय सेवा करय कय मतलब अहय देस के करोड़न मनई कय सेवा, जे केहू तकलीफ़ झेलत अहै। यकै सीधा मतलब इहै अहइ कि गरीबी, अशिक्षा, बीमारी दूर कीन जाय औ सबका आगे बढ़य कै बराबर मौका मिल सकय।
हमरे पीढ़ी कय सबसे साधू-मनई गांधी जी चाहत रहे कि सब आँखिन कै आँस पोंछी जाय। साइत यतना बड़ा काम हम सबके औक़ात के बाहर होय, लकिन ई जान लियव कि जब तक आँस अव तकलीफ़ बाय तब तक आपन काम खतम नाय होइ सकत। आउर यहिक नाते हम सभै का मेनहत करय का हय, काम करय का है, कठिन मेनहत करय का है ताकि ई सब सपना हक़ीक़त बनि सकय। ई सब सपना हिंदुस्तान की ताईं तौ हइये हय, दुनियव की ताईं इहे सच अहै।
धरम चाहे जउन होय, हम सभै, भारत कै औलाद होई, औ हम सबके पास , एक्के बराबर हक़, औ एक्के मेर पाबंदी अहै। हमरे सब साम्प्रादायिकता कय ओछी सोच का बढ़ावा नाही दीन जाये, काहे से कि कौनो देस कै नेवासी अगर ओछी सोच कै अहैं या ओछा काम करत अहैं तौ उ देस महान नाही होइ सकत।
अव अब दुनिया भरि कय तमाम देसन और हुंवा के लोगन का हम आपन नमस्ते करत हई। औ उनसे वादा करत हई कि शांति, आज़ादी, औ जम्हूरियत का आगे बढ़ावे मा हमार देस सबके साथे सहयोग करे।
औ अब हम अपने भारतमाता का हिरदय से नमन करत हई, जेका अपने सब सबसे ज्यादा पियार कीन जात है, जउन बहुत पुरान अहै, जउन जनम-जनम से जगमगात अहै, औ जउन सबसे नई अहै…आवा अपने सब एकदम नए सिरे सेनी जुटि के भारतमाता कै सेवा कीन जाय।