तीन दिन बीत जाने के बाद भी पोस्टमार्टम न होने पर रिहाई मंच ने कहा कि सरकार जिंदा मजदूर का सम्मान नहीं कर सकती तो कम से कम मरने के बाद इस तरह का व्यवहार न करे
मृतक प्रवासी मजदूरों का तत्काल पोस्टमार्टम करवाकर उनके साथ आ रहे उनके परिजनों के खाने, रहने और घर पहुंचाने का सरकार तत्काल प्रबंध करें
रिहाई मंच प्रतिनिधिमंडल ने की आज़मगढ़ के प्रवासी मृतक मजदूर राम अवध चौहान के परिजनों से मुलाकात
लखनऊ/आजमगढ़ 28 मई 2020. रिहाई मंच ने आज़मगढ़ के राम अवध चौहान जिनकी ट्रेन में ही मृत्यु हो गई थी का तीन दिनों से पोस्टमार्टम न होने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार जिंदा मजदूर का सम्मान नहीं कर सकती तो कम से कम मरने के बाद इस तरह का व्यवहार न करे. दुःख की घड़ी में जहां उनके परिजनों को तसल्ली देती उसके विपरीत कानपुर रेलवे स्टेशन पर छोड़ दिया है. मंच ने कहा कि श्रमिक ट्रेनों से आ रहे पूर्वांचल के पांच मजदूरों कि मृत्यु हो चुकी है तत्काल उनका पोस्टमार्टम करवा दाहसंस्कार करवाया जाए. रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव, बांकेलाल, अवधेश यादव और विनोद यादव ने मृतक रामअवध चौहान के परिजनों से मुलाक़ात की.
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि आजमगढ़ के प्रवासी मृतक मजदूर राम अवध चौहान के बेटे ने कहा कि 26 की शाम 5.30 बजे उनके पिता की मृत्यु हुई थी. वे कहते हैं कि आज तक उनका पोस्टमार्टम नहीं हो सका है. वे कुछ भी बता पाने कि स्तिथि में नहीं हैं क्योंकि उन्हें बताया जा रहा है कि यहां कोरोना की जांच नहीं होती और इसी वजह से पोस्टमार्टम भी नहीं हो पा रहा है. जिसके चलते वो काफी परेशान हैं. वे अपनी मां, भाई-बहन के साथ पिछले तीन दिनों से कानपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक पर रहने को विवश हैं. वे भूख-प्यास से बेहाल हैं लेकिन बार-बार यही कह रहें हैं कि जल्दी से उनके पिता का पोस्टमार्टम हो जाता और उन सबको घर भेज दिया जाए.
मंच महासचिव ने कहा कि मृतक प्रवासी मजदूरों का दो-तीन दिन तक पोस्टमार्टम ना होना और इस दुख की घड़ी में भी उन्हें स्टेशन पर रहने को मजबूर होना बताता है कि सरकार के पास मजदूरों के लिए कोई नीति नहीं है. कहां तो उन्हें सांत्वना देनी चाहिए थी पर इससे बिल्कुल अलग ये बात सामने आ रही है कि उनके खाने-पीने तक का कोई उचित प्रबंध नहीं है
रिहाई मंच प्रतिनिधिमंडल से राम अवध चौहान के भाई रमेश चौहान ने कहा कि गर्मी के कारण राम अवध चौहान का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा था. उन्होंने अपने कपड़े उतार दिए थे क्योंकि उनका शरीर बहुत गर्म हो गया था. उनको दिक्कत महसूस होने लगी तो उनके बेटे ने चेन खींची, लेकिन ट्रेन नहीं रुकी. उन्होंने रेलवे हेल्पलाइन नंबर भी डायल किया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली.
मुंबई के साकीनाका में राजमिस्त्री का काम करते हुए, 45 वर्षीय राम अवध, अपने दो बेटों, पत्नी, बेटी और सास के साथ बस से झाँसी आए. झांसी से वे आजमगढ़ के लिए मंगलवार को चले.
कन्हैया ने आरोप लगाया है कि बस से जब वे झांसी पहुंचे तब से लेकर झांसी से निकलने तक उन्हें खाने के लिए कुछ नहीं मिला. झाँसी से जब वे चले तो ट्रेन में पूड़ी-सब्ज़ी और पानी का एक-एक पाउच मिला. मध्यप्रदेश के गुना में सोमवार की शाम उन्होंने आखिरी बार भोजन ठीक से किया था। सही से भोजन न मिलने की वजह से शूगर की दवा भी नहीं ले पा रहे थे. 45 मिनट से अधिक की देरी के बाद डॉक्टर कानपुर स्टेशन पर उनके पिता की जांच करने पहुंचे.
मृतक के परिजनों का कहना है कि उनके पिता के पास ढाई महीने से कोई काम नहीं था. ऐसे में आज़मगढ़ लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. रामअवध के भाई कहते हैं कि कुछ दिनों पहले ही उनका परिवार मुम्बई शिफ्ट हुआ था और तीनों बच्चों का वहीं स्कूल में नाम भी लिखवाया गया था. पूरा परिवार तबाह हो गया.
जब हम रामअवध के घर से चलने लगे तो उनकी मां ने बस यही कहा कि लाश तो मिलेगी नहीं.
द्वारा-
राजीव यादव
रिहाई मंच
9452800752
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