भारत में स्त्रीवादी आंदोलन की महत्वपूर्ण व्यक्तित्व कल्पना मेहता का बुधवार शाम चार बजे के आसपास इंदौर स्थित उनके निवास पर निधन हो गया। लॉकडाउन के नियमों के चलते शाम को ही उनकी अंत्येष्टि कर दी गयी।
प्रगतिशील लेखक संघ के सचिव कामरेड विनीत तिवारी ने देर शाम फोन पर बताया कि कल्पना मेहता लंबे समय से मोटर न्यूरॉन की बीमारी से ग्रस्त थीं लेकिन इधर बीच वे अवसाद से जूझ रही थीं। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दिनों से वे निराश व असहाय महसूस कर रही थीं।
कल्पना मेहता अपनी बीमारी के बावजूद आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाती रही हैं। वे स्त्री अधिकार संगठन सहेली और डब्लूएसएस की संस्थापक सदस्य थीं। उनका सार्वजनिक और आंदोलनकारी जीवन चार दशक से भी ज्यादा लंबा है।
स्त्रीवादी अधिवक्ता प्योली ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा है, “नवंबर 2009 में भोपाल में हुई WSS की स्थापना बैठक से ले कर अपनी बेहद कष्टकर बीमारी तक कल्पना WSS की बेहद सक्रिय और ऊर्जादायक सदस्य रही। वह हमारी शक्ति भी थी और कम्पास भी।”
सहेली संगठन से जुड़ी स्त्रीवादी लक्ष्मी मूर्ति ने कल्पना को श्रद्धांजलि देते हुए एक लंबी पोस्ट लिखी है: