संयुक्त किसान मोर्चा प्रेस नोट
138वां दिन, 14 अप्रैल 2021
संयुक्त किसान मोर्चे के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर आज डॉ. भीमराव अम्बेडकर जयंती को संविधान बचाओ दिवस के रूप में मनाया गया। देश के मजदूर किसान व कामगार वर्ग का औपनिवेशिक शासन में बेहद शोषण होता था। इसी व्यवस्था को बदलने के लिए सामाजिक क्रांति के रूप में संविधान बनाया गया। संविधान में बराबरी, न्याय व प्रगति के लिए अनेक प्रावधान है जिनपर सरकारें लगातार हमले करती आ रही हैं।
किसान नेताओं ने कहा कि वर्तमान सरकार व आरएसएस-भाजपा संविधान में सुधार के नाम से अनेक छेड़छाड़ कर रही है जो कि अर्थव्यवस्था व समाज दोनों के लिए खतरनाक है। कृषि एक राज्य का विषय है, इस पर केंद्र सरकार का कानून बनाना निश्चित तौर पर असंवैधानिक कदम है। साथ ही भाजपा आरएसएस का विभिन्न संस्थानों पर कब्ज़ा करना भारत देश के भविष्य के लिए खतरा है। संविधान विरोधी इन ताकतों का जनता पहले से विरोध करती आ रही है। वर्तमान किसान आंदोलन ने न सिर्फ संविधान को बचाने का प्रयास किया है बल्कि संविधान को सुचारू रूप से लागू करवाने के भी प्रयास कर रहा है।
आज किसान बहुजन एकता दिवस भी मनाया गया। मंच पर बोलते हुए नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा बिना किसी संवाद व मांग के तीन कृषि कानून कोरोना महामारी के समय लाये गए। मंडी व्यवस्था व उचित MSP व कर्ज़ा मुक्ति किसानों के लिए सबसे बड़ी आज़ादी है। ठीक इसी तरह मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी व सम्मानपूर्वक काम शोषण से बचाता है। वर्तमान समय मे दोनों ही वर्ग को केंद्र सरकार ने निशाना बनाया हुआ है।
कॉरपोरेट व सरकार की मिलीभगत के खिलाफ किसान व मजदूर भी एकजुट है। सरकार कामगार वर्ग को अनेक जातियों में बांटकर “फूट करो व राज करो” की नीति लागू कर रही है। न सिर्फ आवश्यक वस्तु संशोधन कानून बल्कि अन्य दो कानून भी दलितों बहुजनों की अर्थव्यवस्था को बड़े पैमाने पर प्रभावित करेंगे। आज मजदूर व किसान भलीभांति इसे समझते हैं व इन नीतियों के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष कर रहे हैं।
हरियाणा के दलित संगठनों ने टिकरी बॉर्डर पर पहुंच कर किसानों के धरनों को और मजबूत करने का फैसला किया। गाज़ीपुर बॉर्डर व सिंघु बॉर्डर पर प्रगतिशील नेता चंद्रशेखर आजाद ने पहुंचकर एक सांझी लड़ाई लड़ने का आह्वान किया। पंजाब नरेगा मजदूर असोसिएशन के कार्यकर्ताओं की सिंघु बॉर्डर पर बड़ी भागीदारी रही।
डॉ. दर्शन पाल
संयुक्त किसान मोर्चा