मजदूर एकता केंद्र ने श्रम क़ानूनों में बदलाव के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल में निभाई हिस्सेदारी!


मजदूर एकता केंद्र (डबल्यू.यू.सी.आई) कार्यकर्ताओं ने भाजपा सरकार द्वारा सरकारी संस्थानों के निजीकरण किये जाने और मज़दूर विरोधी कानूनों को लागू करने के खिलाफ हो रहे देशव्यापी हड़ताल में भाग लिया| ज्ञात हो कि लॉकडाउन के बहाने कार्य-स्थिति, काम के घंटों, ओवरटाइम, आदि से संबन्धित क़ानूनों में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, ओड़ीसा, आदि राज्यों ने बदलाव किए या उन्हें स्थगित कर दिया है| श्रम-क़ानूनों में यह बदलाव कॉर्पोरेटों और उद्यमों को फायदा पहुंचाने के लिए गए हैं, ताकि उन्हें सस्ते दर पर काम करने वाले मजदूर आराम से मुहैया हो सकें, और उनसे ज्यादा-से-ज्यादा निकलवाया जा सके|

ज्ञात हो कि मौजूदा संकट की स्थिति में, मजदूरों और कामगार आबादी के जीवन को लेकर केंद्र और राज्य सरकारें पूरी तरह से लापरवाह रही हैं| मजदूरों के लिए न सिर्फ भूखे रहने और भीख मांगने की नौबत आ गयी है, बल्कि उन्हें विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा कॉर्पोरेटों और उद्यमियों के लिए बंधुआ श्रम प्रदान करने के लिए राज्यों से बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है| विभिन्न राज्य सरकारों ने आपातकालीन ताकतों का इस्तेमाल कर श्रम क़ानूनों के प्रावधान को ही खत्म करने की कोशिश की है| हाल  ही उत्तर प्रदेशऔर मध्य प्रदेश सरकारों ने विभिन्न श्रम क़ानूनों पर 3 साल तक रोक लगाने केलिए अध्यादेश पारित किया है| इसके तहत श्रम क़ानूनों में जो बदलाव लाये जाएँगे, उनके अनुसार कंपनियों को मजदूरों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यस्थिति संबंधी नियमों का पालन न करने की आज़ादी होगी| श्रम-कानूनों का स्थगन अनौपचारिक क्षेत्र में काम कर रहे बहुसंख्यक मजदूरों (जिसमें ज़्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं) की स्थिति बद-से-बदतर बनाएगा| यह कदम दिखाते हैं कि किस तरह कॉर्पोरेट-हित में काम करने वाली सरकारों के लिए मजदूरों और आम कामगार आबादी के जीवन का बिलकुल भी महत्त्व नहीं है|

मजदूर एकता केंद्र मांग करता है कि श्रम-क़ानूनों के स्थगन को तुरंत वापस लिया जाये| साथ ही, राज्य सरकारों से कंपनियों और कॉर्पोरेटों के हित में मजदूरों के अति-शोषण की इजाज़त देने के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग करता है| आने वाले दिनों में मजदूर एकता केंद्र (डबल्यू.यू.सी.आई.) केंद्र और राज्य सरकारों की मजदूर-विरोधी नीतियों के खिलाफ अपना आंदोलन तेज़ करने का ऐलान करता है|

आलोक कुमार
जनरल सेक्रेटरी
मजदूर एकता केंद्र (डब्ल्यू.यू.सी.आई)
संपर्क: 9971475223


About जनपथ

जनपथ हिंदी जगत के शुरुआती ब्लॉगों में है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। शुरुआत में निजी ब्लॉग के रूप में इसकी शक्ल थी, जिसे बाद में चुनिंदा लेखों, ख़बरों, संस्मरणों और साक्षात्कारों तक विस्तृत किया गया। अपने दस साल इस ब्लॉग ने 2016 में पूरे किए, लेकिन संयोग से कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते इसके डोमेन का नवीनीकरण नहीं हो सका। जनपथ को मौजूदा पता दोबारा 2019 में मिला, जिसके बाद कुछ समानधर्मा लेखकों और पत्रकारों के सुझाव से इसे एक वेबसाइट में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया गया। इसके पीछे सोच वही रही जो बरसों पहले ब्लॉग शुरू करते वक्त थी, कि स्वतंत्र रूप से लिखने वालों के लिए अखबारों में स्पेस कम हो रही है। ऐसी सूरत में जनपथ की कोशिश है कि वैचारिक टिप्पणियों, संस्मरणों, विश्लेषणों, अनूदित लेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से एक दबावमुक्त सामुदायिक मंच का निर्माण किया जाए जहां किसी के छपने पर, कुछ भी छपने पर, पाबंदी न हो। शर्त बस एक हैः जो भी छपे, वह जन-हित में हो। व्यापक जन-सरोकारों से प्रेरित हो। व्यावसायिक लालसा से मुक्त हो क्योंकि जनपथ विशुद्ध अव्यावसायिक मंच है और कहीं किसी भी रूप में किसी संस्थान के तौर पर पंजीकृत नहीं है।

View all posts by जनपथ →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *