उत्तर प्रदेश के बुनकर 1 सितम्बर से अनिश्चित काल के लिए बंदी पर जा रहे हैं। मंगलवार से राज्य भर के पावरलूम, वारपिन, कलेण्डर मशीन और अन्य उपकरणों की अनिश्चितकालीन बंदी का आंदोलन शुरू हो रहा है।
पावरलूम बुनकरों के बिजली विभाग और हथकरघा विभाग के हाथों हो रहे शोषण के खिलाफ तथा बिजली के फ्लैट रेट को समाप्त करने की मांग को लेकर यह आंदोलन शुरू हो रहा है। इस सिलसिले में 19 अगस्त को लखनऊ में और 26 अगस्त को बनारस में उत्तर प्रदेश बुनकर सभा की संचालन समिति की दो बैठकें हुईं। इन्हीं बैठकों में 1 सितम्बर से जन आंदोलन का फैसला लिया गया।
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उत्तर प्रदेश बुनकर सभा ने इस सम्बंध में जारी एक बयान में कहा है कि अगर ज़रूरत पड़ी तो 15 सितम्बर से सभी बुनकर अपने बिजली कनेक्शन को स्थायी रूप से बंद करने के लिए प्रार्थना पत्र देंगे।
गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा बिजली का रेट बढ़ाये जाने से बदहाल बुनकरों के हक़ में बीते 13 अगस्त को मुफ्ती-ए-बनारस ने अपने सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बिजली दर की पुरानी व्यवस्था बहाल करने की मांग करते हुए एक अपील जारी की थी।
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उस वक्त कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी ट्वीट करते हुए लिखा कि उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद की तरफ से घरेलू फिक्स्ड चार्ज व कामर्शियल न्यूनतम चार्ज ख़तम करने व किसानों के लिए बिजली दरों में कमी किये जाने की मांग एकदम जायज है और सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।
बुनकरों को बदहाली से बचाने के लिए बीते चार महीने से प्रधानमंत्री और यूपी के मुख्यमंत्री को पत्र लिखे जा रहे हैं लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। बीते अप्रैल में लॉकडाउन के शुरुआती चरणों में ही बुनकरों के बीच भुखमरी की खबरें आनी शुरू हो गयी थीं। तब इस मसले पर दस दिन के भीतर बनारस से दो पत्र बुनकरों की बदहाली के सम्बंध में प्रधानमंत्री को भेजे गए थे। एक पत्र 15 अप्रैल को जिला खाद्य सुरक्षा सतर्कता समिति के सदस्य और मानवाधिकार जन निगरानी समिति के प्रमुख डॉ. लेनिन ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को बजरडीहा के आठ परिवारों के सम्बंध में लिखा था, जो भुखमरी के कगार पर थे। इसके सप्ताह भर बाद बुनकर दस्तकार अधिकार मंच के अध्यक्ष इदरीस अंसारी ने बनारस के सांसद और प्रधानमंत्री को ख़त लिखकर करघों को खोले जाने और बुनकरों की आर्थिक मदद करने की गुहार लगायी थी।
यूपीपीसीएल से रिटायर्ड अधिशासी अभियंता और वर्कर्स फ्रंट के उपाध्यक्ष इंजीनियर दुर्गा प्रसाद ने बिजली की बढ़ी दरों को लेकर एक बयान जारी किया है जिसे नीचे पढ़ा जा सकता है:
राज्य व केंद्रीय परियोजनाओं से बेहद सस्ती बिजली मिल रही है लेकिन कारपोरेट बिजली उत्पादन कंपनियों से लागत के सापेक्ष महंगी दरों पर बिजली खरीदने से ही उपभोक्ताओं को पहले ही बेहद महंगी दर से बिजली मिल रही है और बिजली बोर्डों को भारी घाटा भी उठाना पड़ा है। कारपोरेट बिजली उत्पादन कंपनियों की मुनाफाखोरी व लूट को सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने उनसे महंगी बिजली खरीद के समझौते किये हैं। पब्लिक सेक्टर की परियोजनाओं की उपेक्षा और उन्हें बर्बाद किया जा रहा है जबकि कारपोरेट बिजली कंपनियों को सस्ते दर से जमीन, लोन से लेकर तमाम सुविधाएं सरकार दे रही है। इसी नीति के तहत संपूर्ण बिजली महकमे के इंफ्रास्ट्रक्चर को कारपोरेट घरानों के हवाले करने की नीति ली जा रही है। कारपोरेट बिजली कंपनियों का एकाधिकार होने के बाद बिजली की दरों में और ज्यादा इजाफा होगा। इसलिए बिजली की दरों में बढ़ोतरी और निजीकरण के खिलाफ संघर्ष एक दूसरे के पूरक हैं और आम जनता को बिजली की दरों में बढ़ोतरी सहित पब्लिक सेक्टर के किये जा रहे अंधाधुंध निजीकरण का विरोध राष्ट्रहित में है। हाल ही में निजी कंपनी द्वारा प्रदेश भर में लगाये गए स्मार्ट मीटर के मामले में अनियमितता के संबंध में मीडिया में जो कुछ उजागर हुआ है उससे इसकी निविदा प्रक्रिया में उच्च स्तर पर हुए घोटाले की आशंका जताई जा रही है। इसके पहले भी अरबों के पीएफ घोटाले में कर्मचारियों की अरबों जमा पूंजी डूब चुकी है। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रस्तावित निजीकरण सहित बिजली महकमे के निजीकरण की प्रक्रिया से किसानों व गरीबों सहित आम जनता को बेहद महंगी बिजली मिलेगी जिससे गिरती अर्थव्यवस्था व महंगाई से परेशान आम जनता की समस्या और भी विकराल होने की आशंका है। इसलिए जनहित में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रस्तावित निजीकरण का फैसला रदद् किया जाना अत्यन्त आवश्यक है।