भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC) में पत्रकारिता की पढ़ाई होती है। पूरे देश में इसके कई कैंपस खुले हुए हैं। पत्रकारिता की पढ़ाई अच्छी होती है, पर पिछले कुछ साल में संस्थान के प्रशासन में ऐसे चाटुकार अधिकारी आ गए हैं जो कैंपस की पत्रकारिता की पढ़ाई को पूरा बर्बाद करने में लगे हैं।
हमारे कई सीनियर ने कैंपस में गरीबों और जरूरतमंद छात्रों के नामांकन हेतु फ़ीस वृद्धि के खिलाफ़ लंबी लड़ाई लड़ी। उन्हें लिखित में फीस वृद्धि रोकने का प्रपत्र भी दिया गया। बाद में प्रशासन मुकर गया। IIMC प्रशासन ने पुनः नए बैच से फीस वृद्धि लागू कर दी जिसके कारण कई छात्रों के नाम नामांकन लिस्ट में आने पर भी पैसों के अभाव में संस्थान के बाहर रह गए। उनके सपनों को प्रशासन ने अपने हाथों से कुचल दिया।
प्रेस विज्ञप्ति नई दिल्ली, 17 फ़रवरी 2021 दिल्ली हाईकोर्ट ने अधिक फीस वसूली मामले में आईआईएमसी को जारी किया…
Posted by Saving MEDIA Education on Wednesday, February 17, 2021
कोरोना के कारण कैम्पस को बंद कर दिया गया। इसी दौरान आपदा में अवसर की तलाश कर डीजी ने सबको कैंपस से बाहर कर फीस वृद्धि लागू कर दी। फिलहाल फ़ीस वृद्धि से संबंधित मामला कोर्ट में चल रहा है जिसका फैसला यह तय करेगा कि IIMC में गरीब और जरूरतमंद छात्र पैसा के अभाव में भी पत्रकारिता की पढ़ाई कर पायेगा या उसे पहले की तरह संस्थान से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। अभी तक IIMC इसी तरह चलाया जा रहा है।
IIMC में 24 घंटे लाइब्रेरी और 24 घंटे कैंपस खोलने की बात प्रशासन बहुत पहले ही मान चुका था, पर कोरोना की आड़ में और कॉस्ट कटिंग करते हुए कैंपस को बंद कर दिया गया है। ऑनलाइन क्लास के नाम पर एक तरफ से संवाद किया जा रहा है जो एकतरफा मन की बात की ही तरह है। आप संस्थान की जिम्मेदारी के ऊपर सवाल नहीं पूछ सकते हैं। सवाल पूछने पर आपको टारगेट किया जाएगा। सवाल करने वाले छात्रों को सवाल पूछने पर क्लास से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।
कैंपस खोलने को लेकर संस्थान के छात्रों ने बॉयकॉट ऑनलाइन क्लास की गूगल डीपी लगाए थे। तब इसे गुस्सा होकर IIMC प्रशासन ने गूगल मीट से इन छात्रों को बाहर निकाल दिया और साथ ही छात्रों के ऑफिशियली रजिस्टर्ड ईमेल ID को ब्लॉक कर दिया गया है। वह भी इसलिए क्योंकि छात्रों ने IIMC खोलने की बात की। अब वे ऑनलाइन क्लास भी नहीं कर सकते हैं। तो ऐसे में प्रशासन के साथ कैसे संवाद बनाया जा सकता है।
संस्थान अपने छात्रों के सवाल पूछने पर गुस्सा होकर पहले भी ऐसी ज्यादती कर चुका है। इस बार एलुमनाई मीट दिल्ली कैंपस के प्रांगण में ही हुआ। इस प्रशासन ने वर्तमान बैच के छात्रों को इसमें आने से रोक दिया। बाद में बहुत विरोध झेलने पर और iIMCAA के हस्तक्षेप के बाद छात्रों को इसमें आने की अनुमति दी गयी। कैंपस में टीचर, प्रशासनिक अधिकारी, कर्मचारी, कैंटीन वाले, कार्यरत मजदूर, कैंपस गार्ड्स सब आते हैं। सभी लोग बाहर से रोज कैंपस के अंदर जाते हैं पर छात्रों के लिए कैंपस बंद है। कैंपस के अंदर ऑडिटोरियम में प्रायः कुछ न कुछ कार्यक्रम या कोई पखवाड़ा आयोजित किया जाता है। कई और पब्लिक प्रोग्राम होते हैं पर प्रशासन का विरोध और दुश्मनी केवल यहाँ के छात्रों से है क्योंकि वे सवाल पूछते हैं।
इसीलिए प्रशासन किसी भी कीमत पर कैंपस या हॉस्टल नही खोलना चाहता है। कई छात्र मुनिरका, कटवारिया सराय, किशनगढ़ में छोटे-छोटे रूम लेकर रह रहे हैं। उनकी आर्थिक हालत और मानसिक हालत दयनीय हो चुकी है। प्रशासन से कोई मदद नहीं मिल रही है बल्कि वे छात्रों को शांतिपाठ, गुरुवंदना और संस्थान-सरकार से प्रश्न न करने का ज्ञान दे रहे हैं, जो शर्मनाक है।
एक सेमेस्टर में खत्म होने वाली हिंदी पत्रकारिता की लैब क्लास एक दिन भी नहीं हुई। बाकी डिपार्टमेंट का भी यही हाल है। अंधेर नगरी चौपट राजा की तरह संस्थान को चलाया जा रहा है। इस मामले को लेकर छात्रों ने अपने शिक्षक, विभाग अध्यक्ष, डीन और निदेशक सबसे बात की और लिखित में अपनी समस्याओं को गंभीरतापूर्वक तरीके से अवगत कराया। बातचीत कई राउंड में हुई। छात्रों ने अपना मेमोरेंडम भी दिया है, पर इस पर कोई भी सुनवाई नहीं हो रही है। IIMC प्रशासन गोलमटोल बात कर रहा है। छात्रों को व्यक्तिगत तौर पर धमकी दी जा रही है। उन्हें क्लास में डांट-डपट किया जा रहा है पर छात्र अपनी बात मजबूती से प्रशासन के सामने रख रहे हैं।
प्रशासन का कहना है, हमने आपके दाखिले के समय ही प्रोस्पेक्टस में लिख दिया था कि कैंपस में आना और क्लास लेना नहीं होगा। ये आपकी गलती है। कितनी असंवेदनशीलता है। यह तो अन्याय है। हमें इस अनैतिकता और अन्याय के खिलाफ़ मिलकर लड़ना है ताकि हम पत्रकार बनके निकलें, ना कि सरकार और संस्थान का चाटुकार। पत्रकारिता में सवाल पूछना और अपने अधिकार के लिए लड़ना एक मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए जरूरी है।
(राजू कुमार की टिप्पणी)
छात्रों के ट्वीट