डॉक्टर कफील खान की रिहाई के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए डॉ. कफील खान को बड़ी राहत दी है। काँग्रेस ने योगी आदित्यनाथ से कहा है कि वे कफील और उनके परिवार से माफी मांगें।
Supreme Court dismisses an appeal of Uttar Pradesh government against the Allahabad High Court order quashing Kafeel Khan’s detention under the National Security Act (NSA). pic.twitter.com/3ki20zCMH7
— ANI UP (@ANINewsUP) December 17, 2020
यूपी सरकार ने डॉक्टर कफील खान के ऊपर से एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून हटाए जाने और रिहा करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद डॉक्टर कफील खान ने ट्वीट किया-
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका जो मेरे रासुका के तहत मेरे हिरासत को रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी उसको ख़ारिज कर दिया
मुझे न्यायालय पर पूरा भरोसा था मुझे न्याय मिला. आप सब का बहुत बहुत शुक्रिया / धन्यवाद / Thank you .
अल्हमदुलिल्लाह
जय हिंद जय भारत pic.twitter.com/57rDwcccck— Dr Kafeel Khan (@drkafeelkhan) December 17, 2020
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट की टिप्पणी आपराधिक मामलों को प्रभावित नहीं करेगी। अब डॉक्टर कफील खान के खिलाफ दर्ज मामले का निपटारा मेरिट के आधार पर ही होगा।
A #SupremeCourt Bench headed by Chief Justice Bobde on Thursday refused to interfere with #AllahabadHighCourt Order which quashed the detention of Dr.#KafeelKhan under the National Security Act (#NSA).
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मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा – ‘ऐसा लगता है कि उच्च न्यायालय द्वारा एक अच्छा आदेश दिया गया है। हम उच्च न्यायालय के आदेश के साथ हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं देखते हैं।’
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1 सितंबर को डॉ. कफील को तुरंत रिहा करने के आदेश दिया था। कोर्ट ने आदेश सुनाते हुए कहा था कि एनएसए के तहत डॉक्टर कफील को हिरासत में लेना और हिरासत की अवधि को बढ़ाना गैर-कानूनी है।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने इस फैसले को मुख्यमंत्री योगी की सुप्रीम बेइज़्ज़ती करार दिया है। प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे का यह कह कर याचिका खारिज करना कि इलाहाबाद ‘हाई कोर्ट ने अच्छा फैसला सुनाया था, उसमें हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता’ कुंठित व्यक्तित्व वाले मुख्यमंत्री की सुप्रीम बेइज़्ज़ती है।
शाहनवाज़ ने कहा, “यह उनके कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठाता है कि हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बावजूद तथ्यों को तोड़मरोड़ कर अदालत को गुमराह करने वाले अलीगढ़ के तत्कालीन डीएम को अब तक उन्होंने निलंबित क्यों नहीं किया।”
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद अगर मुख्यमंत्री जी में थोड़ी भी लाज शर्म बची हो तो उन्हें डॉ. कफ़ील खान और उनके पूरे परिवार से माफ़ी मांग लेनी चाहिए।