बाराबंकी के बाद खतौली में मस्जिद ढहाए जाने की घटना सुनियोजित: रिहाई मंच


रिहाई मंच ने बाराबंकी के बाद खतौली में मस्जिद ढहाये जाने के लिए प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। मंच ने कहा कि देश की जनता कोरोना से मर रही है और योगी-मोदी सांप्रदायिक राजनीति और चुनावी पैंतरेबाजी कर रहे हैं। मंच का दल सूबे में सत्ता संरक्षण में हो रहे दमन-उत्पीड़न की जांच और कानूनी कार्रवाई के लिए पीड़ितों से मुलाकात करेगा।

रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि कोरोना महामारी से लड़ने के बजाय अपनी नाकामियों को छुपाने और ध्रुवीकरण करने के लिए कभी मस्जिद को ढहाया जा रहा है तो कभी मुस्लिमों को सांप्रदायिक हमले का शिकार बनाया जा रहा है। 31 मई 2021 तक हाईकोर्ट द्वारा रोक के बावजूद बाराबंकी के बाद मुजफ्फरनगर के खतौली में प्रशासन ने मस्जिद को निशाना बनाया, यह खुलेआम कोर्ट की अवमानना है।

रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव ने कहा कि उन्नाव के बांगरमऊ में पुलिस पर 18 साल के सब्जी विक्रेता फैसल को पीट-पीटकर मार डालने का आरोप है। मुरादाबाद में मीट विक्रेता शाकिर को भीड़ द्वारा लाठी-डंडों से पिटाई, बरेली में हाफिज इशहाक की गोली मारकर हत्या, चित्रकूट की जेल में मेराजुद्दीन, मुकीम और अंशु दीक्षित की हत्या, फिलीस्तीन के समर्थन में झंडा लगाने की अपील के नाम पर आजमगढ़ के यासिर अख्तर की गिरफ्तारी जैसी घटनाओं का सिलसिला साफ करता है कि ये घटनाएं कोई संयोग नहीं बल्कि सुनियोजित साजिश के तहत हो रही हैं।

जालौन के शहर कोतवाली क्षेत्र में एक युवक की पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें छह-सात युवक न सिर्फ उसे लात-घूंसों से पीट रहे हैं बल्कि एक हमलावर ने उस पर पेशाब भी किया। बरेली के थाना बारादरी के जोगी नवादा में मास्क न पहनने पर एक युवक के हाथ-पैर में कीलें ठोकने का आरोप पुलिस पर लगा है। रायबरेली में पांच युवकों को रात भर चौकी में पीटने और मऊ के थाना मोहम्दाबाद में युवक को पीटते हुए थाने ले जाने का आरोप पुलिस पर लगा है।

रिहाई मंच ने कहा कि कोरोना में हमने लोगों को आक्सीजन, वेंटीलेटर, दवा, अस्पताल की कमी की वजह से दम तोड़ते देखा वहीं योगी-मोदी का वाराणसी माडल बताकर फिर से सरकारी नाकामी को छुपाने की कोशिश की जा रही है। यह बताने की बेशर्म कोशिश है कि नदियों के किनारे जो शव दफनाए गए, वह रीति रिवाज का हिस्सा है। इसी कड़ी में योगी जी को यह भी बताना चाहिए कि अगर वह रीति-रिवाज है तो उसके ऊपर के पीतांबर को हटाने की कौन सी परंपरा है। सच्चाई तो यह है कि नदियों के किनारे पुलिस द्वारा भी शवों को दफनाने की खबरें आई हैं। जब मीडिया में तस्वीरें आईं कि कैसे लाशें गंगा में उतरा रही हैं, दफनाई गई हैं तब जाकर सरकार जागी। इससे आम आदमी तक जान गया गया है कि सरकार को उसके स्वास्थ्य को लेकर कोई चिंता नहीं है।

योगी आदित्यनाथ के झांसी दौरे के समय जब डाक्टरों ने मेडिकल कालेज में व्यवस्था बेहतर करने के संदर्भ में उनसे मिलना चाहा तो उन्हें पुलिस ने डिटेन कर लिया। डाक्टरों ने मांग पत्र में कहा कि प्रायः देखा जाता है कि जब कोई प्रशासनिक दौरा होता है तभी दवाइयां प्रदान कराई जाती हैं। ऐसे में मेडिकल कालेज में दवाइयों को पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराया जाए। इससे साफ होता है कि इस विकट परिस्थिति में भी महामारी को लेकर सरकार गंभीर नहीं है।


राजीव यादव
महासचिव, रिहाई मंच


About जनपथ

जनपथ हिंदी जगत के शुरुआती ब्लॉगों में है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। शुरुआत में निजी ब्लॉग के रूप में इसकी शक्ल थी, जिसे बाद में चुनिंदा लेखों, ख़बरों, संस्मरणों और साक्षात्कारों तक विस्तृत किया गया। अपने दस साल इस ब्लॉग ने 2016 में पूरे किए, लेकिन संयोग से कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते इसके डोमेन का नवीनीकरण नहीं हो सका। जनपथ को मौजूदा पता दोबारा 2019 में मिला, जिसके बाद कुछ समानधर्मा लेखकों और पत्रकारों के सुझाव से इसे एक वेबसाइट में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया गया। इसके पीछे सोच वही रही जो बरसों पहले ब्लॉग शुरू करते वक्त थी, कि स्वतंत्र रूप से लिखने वालों के लिए अखबारों में स्पेस कम हो रही है। ऐसी सूरत में जनपथ की कोशिश है कि वैचारिक टिप्पणियों, संस्मरणों, विश्लेषणों, अनूदित लेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से एक दबावमुक्त सामुदायिक मंच का निर्माण किया जाए जहां किसी के छपने पर, कुछ भी छपने पर, पाबंदी न हो। शर्त बस एक हैः जो भी छपे, वह जन-हित में हो। व्यापक जन-सरोकारों से प्रेरित हो। व्यावसायिक लालसा से मुक्त हो क्योंकि जनपथ विशुद्ध अव्यावसायिक मंच है और कहीं किसी भी रूप में किसी संस्थान के तौर पर पंजीकृत नहीं है।

View all posts by जनपथ →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *