हाथरस कांड पर 92 रिटायर्ड नौकरशाहों का योगी आदित्यनाथ को खुला पत्र


प्रिय मुख्यमंत्री जी,

हमने यह मान लिया था कि अब हमारे विवेक और ज़मीर को कुछ भी झकझोर नहीं पाएगा, तभी आपके प्रशासन द्वारा हाथरस की घटना में की गई कार्यवाही सामने आई। पूरे घटनाक्रम को देखने से पता लगता है कि हमारे देश का प्रशासन किस हद तक दरिंदगी और अमानुषता की दलदल में गिर चुका है।

एक दलित लड़की का बर्बरतापूर्वक शारीरिक उत्पीड़न किया गया, लेकिन घटना के तीन सप्ताह बाद भी पुलिस बलात्कार के अपराध की पुष्टि नहीं कर पा रही है और उसके इर्द-गिर्द कहानियाँ बनाने की कोशिश कर रही है, जबकि उस लड़की के बयान का विडिओ बलात्कार की पुष्टि करता है। यह बयान एक तरह से उसका डाइंग डेक्लरैशन ही है।

उसके गले पर गहरे घाव थे; उसकी रीढ़ की हड्डी तोड़ दी गई थी और जीभ भी काटी गयी थी। ट्रॉमा  से निपटने के लिए उन्नत सुविधाओं वाले दिल्ली के किसी अस्पताल में उसको भेजने के बजाए उसे अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में पड़ा रहने दिया गया, जहां उसके उपचार के समुचित संसाधन ही नहीं थे। घटना के दो सप्ताह बाद ही उसे दिल्ली ले जाया गया, वह भी उसके परिवार के अनुरोध पर।

उसकी मृत्यु के बाद जो हुआ उसमें न्याय और बुनियादी मानवीय मूल्यों का और भी उपहास किया गया। उसके पार्थिव शरीर को बहुत जल्द बाज़ी में उसके गाँव भेज कर पुलिसकर्मियों द्वारा रात में ही अंतिम संस्कार कर दिया गया। हिंदू धर्मानुयायी होने के नाते आप अच्छी तरह से जानते होंगे कि हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार शव का अग्निदाह निकटतम परिजनों द्वारा ही किया जाता है। इस पवित्र परंपरा  और परिवारजनों की दलीलें कि वह शव को घर ले जाकर सुबह दाह संस्कार करेंगे, दोनों की परवाह नहीं की गई। शोक संतप्त परिवार के ज़ख्म पर नमक छिड़कते हुए एक पुलिसकर्मी ने उन्हें भी इस हादसे का दोषी ठहरा दिया और जिला मजिस्ट्रेट विडिओ पर उस परिवार को धमकी सी देते दिखे कि वह मीडिया वालों से बात करने में सावधानी बरतें क्योंकि मीडिया तो कुछ समय बाद चले जाएंगे, लेकिन अधिकारीगण तो आसपास ही रहेंगे।

मीडिया में यह प्रसारित किया गया है कि अभियोगियों को शीघ्र सज़ा दिलवाने के लिए मामले को फ़ास्ट -ट्रैक करने की ताकीद प्रधान मंत्री ने आपको दी है। केंद्र और प्रदेश सरकारों में अपने अनुभव के आधार पर  पूर्व सिविल सेवकों के हमारे समूह ने पहले भी उन्नाव बलात्कार व बुलंदशहर पुलिस निरीक्षक की हत्या के मामलों में कायदे- कानून के बेशर्म उल्लंघन पर प्रकाश डाला था। यह भी विचारणीय है कि अपने साथी पुलिस अधिकारी की घिनौनी हत्या के दो साल बाद भी न तो आपकी पुलिस ने और न ही प्रशासन ने मामले को न्यायोचित अंजाम पर लाने में कोई तत्परता दिखाई है। इस पृष्ठभूमि में आप समझ सकते हैं कि उत्तर प्रदेश की फ़ास्ट-ट्रैक प्रणाली पर हमें संशय होना स्वाभाविक ही है।

वस्तुतः हम उत्तर प्रदेश सरकार की ‘फास्ट ट्रैक न्याय’ की नायाब व्याख्या से भी चिंतित हैं। अभी हाल ही में हमने दो उदाहरण देखे हैं जिनमें पुलिस के संरक्षण में उत्तर प्रदेश ले जाते समय कथित अपराधियों को रास्ते में ही मार दिया गया। भले ही वह जघन्य अपराधों के अभियुक्त रहे हों, परंतु भारत के संविधान और देश के कानून के अंतर्गत उन्हे एक विधिवत ट्रायल का हक़ प्राप्त था। उनको इस अधिकार से वंचित रखना संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। आपके प्रशासन ने सीएए-विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ़ अत्यधिक कठोर क़दम उठाए हैं,  जिसमें निरोध और दंडात्मक जुर्माना शामिल हैं। हाल ही में एक साक्षात्कार में “आँख के बदले आँख” की विचारधारा की आप द्वारा वकालत से यह प्रतीत होता है कि आप जज और जल्लाद की भूमिकाओं को एक ही तंत्र/व्यक्ति में केंद्रित करने के पक्षधर हैं।  

उतना ही निंदनीय था कुछ महीने पहले आपके द्वारा अतीत में अपने खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने का आदेश दिया जाना। राजनेता यह कहते हुए कभी नहीं थकते कि “कानून अपने अनुसार कार्य  करेगा”। अपनी पार्टी और सरकार के इस विश्वास-स्तम्भ से विदा लेना आपके लिये क्यों आवश्यक हो गया?

हाथरस जिला प्रशासन को लगता है कि वे मानव शरीर के खिलाफ अपराधों से संबंधित सबूतों को  जल्दी से हटा सकते हैं, और मानवीय संवेदना को भी नज़रंदाज़ कर सकते हैं। कानून और परंपरा के इन उल्लंघनों में लिप्त सभी लोगों को दंडित किया जाना चाहिए। आपने पुलिस अधीक्षक को तो निलंबित कर दिया है;  ज़िला मजिस्ट्रेट के तत्काल निलंबन के लिए भी पर्याप्त आधार हैं। हमारा आग्रह है कि सभी के ख़़िलाफ़ विभागीय कार्यवाही जल्द से जल्द शुरू की जाए। ज़िला पुलिस व कार्यकारी मैजिस्ट्रेसी के उन सभी अधिकारियों के विरुद्ध अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 4 के तहत कार्यवाही होनी चाहिये, जिन्होंने उक्त अधिनियम में उल्लिखित अपने कर्तव्यों का पालन करने में अकर्मण्यता दिखाई है।

हमें बड़ा दुःख है कि मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक एक पतनोन्मुख प्रशासन तंत्र को नेतृत्व देने में व उस पर उचित नियंत्रण रखने में अपने को अक्षम पा रहे हैं। हम उनसे भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय पुलिस सेवा की गौरवशाली परंपराओं को जीवित रखने की अपेक्षा करते हैं क्योंकि इस देश के लोगों को इन सेवाओं पर अभी भी विश्वास है। हम लोगों को अखिल भारतीय व केन्द्रीय सेवाओं का सदस्य रहने का सौभाग्य प्राप्त हो चुका है; परंतु जिस तरह से उत्तर प्रदेश की पुलिस व नौकरशाही ने, विशेष रूप से अखिल भारतीय सेवाओं ने,  राजनैतिक दबाव के सामने पूर्ण समर्पण सा कर दिया है, उससे हम सभी लज्जान्वित हैं।

लेकिन राज्य के मुख्य कार्यकारी के रूप में  जिम्मेदारी अंततः आप की ही है। पिछले साढ़े तीन वर्षों के आपके कार्यकाल से ऐसा तो नहीं लगता कि आपको देश के विधि-नियम व विधि-संगत प्रक्रिया पर बहुत विश्वास है। फिर भी हमारा आपसे अनुरोध है कि भारत के जिस संविधान के प्रति आदर और निष्ठा की शपथ आपने पद ग्रहण करते समय ली थी, उसकी मूल भावनाओं और विधि-विधान के अनुसार अपने प्रशासन को संचालित कराने की कृपा करें। 

वर्तमान प्रकरण में हम आशा करते हैं कि आप पीड़िता और उसके परिवार को, कुछ  विशिष्ट उच्च जाति समूहों के प्रयासों के बावजूद, बिना किसी भय या पक्षपात के यथोचित न्याय दिलवाएंगे। हमें यह भी उम्मीद है कि आपके प्रशासन के अधिकारी भविष्य में विधिसम्मत, न्यायसंगत, व संवेदनशील कार्य प्रणाली का पालन करेंगे।  

सत्यमेव जयते

भवदीय
(92 हस्ताक्षरी निमन्वत)

 अनिता अग्निहोत्रीIAS (सेवानिवृत्त),पूर्व सचिव, सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग, भारत सरकार
 सलाहुद्दीन अहमदIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व मुख्य सचिव, राजस्थान
 शफ़ी अहमदIPS (सेवानिवृत्त)पूर्व महानिदेशक, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो, भारत सरकार
 एस.पी. एम्ब्रोज़IAS (सेवानिवृत्त)पूर्व अतिरिक्त सचिव, जहाज़रानी और परिवहन मंत्रालय, भारत सरकार
 आनंद अरनीआर & ए डब्लू  (सेवानिवृत्त)पूर्व विशेष सचिव, कैबिनेट सचिवालय, भारत सरकार
 एन बाला बास्करIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व प्रधान सलाहकार (वित्त), विदेश मंत्रालय, भारत सरकार
 वप्पला बालचंद्रनIPS (सेवानिवृत्त)पूर्व विशेष सचिव, कैबिनेट सचिवालय, भारत सरकार
 गोपालन बालगोपालIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व विशेष सचिव, पश्चिम बंगाल सरकार
 चंद्रशेखर बालकृष्णनIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, कोयला, भारत सरकार
 राणा बनर्जीIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व विशेष सचिव, कैबिनेट सचिवालय (आर  & ए डब्लू ), भारत सरकार
 शरद बेहारIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व मुख्य सचिव,  मध्य प्रदेश
 मधु भादुड़ीIFS (सेवानिवृत्त)पुर्तगाल में पूर्व राजदूत
 मीरां सी बोरवांकरIPS (सेवानिवृत्त)पूर्व पुलिस आयुक्त, पुणे, महाराष्ट्र
 रवि बुधिराजाIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व अध्यक्ष, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट, भारत सरकार
 सुंदर बुर्राIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव,  महाराष्ट्र सरकार
 आर चंद्रमोहनIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व प्रमुख सचिव, परिवहन और शहरी विकास,  एन.सी.टी. दिल्ली सरकार
 राकेल चटर्जीIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व विशेष मुख्य सचिव, कृषि,  आंध्र प्रदेश सरकार
 कल्याणी चौधरीIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, पश्चिम बंगाल सरकार
 ऐना दानीIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, महाराष्ट्र सरकार
 विभा पुरी दासIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, जनजातीय मामलों का  मंत्रालय, भारत सरकार
 पी आर दासगुप्ताIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व अध्यक्ष, भारतीय खाद्य निगम, भारत सरकार
 नितिन देसाईIES (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव और मुख्य आर्थिक सलाहकार, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार
 केशव देसिराजूIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व स्वास्थ्य सचिव, भारत सरकार
 एम जी देवसहायमIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, हरियाणा सरकार
 सुशील दुबेIFS (सेवानिवृत्त)स्वीडन में पूर्व राजदूत
 ए एस दुलतIPS (सेवानिवृत्त)पूर्व ओएसडी (कश्मीर) , प्रधान मंत्री कार्यालय, भारत सरकार
 के पी फ़ेबियनIFS (सेवानिवृत्त)इटली में पूर्व राजदूत
 गौरीशंकर घोषIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व मिशन निदेशक, राष्ट्रीय पेयजल मिशन, भारत सरकार
 सुरेश के गोयलIFS (सेवानिवृत्त)पूर्व महानिदेशक, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, भारत सरकार
 एस के गुहाIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व संयुक्त सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग, भारत सरकार
 एच एस गुजरालIFoS (सेवानिवृत्त)पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक,  पंजाब सरकार
 मीना गुप्ताIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार
 रवि वीर गुप्ताIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व डिप्टी गवर्नर, भारतीय रिजर्व बैंक
 वजाहत हबीबुल्लाहIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, भारत सरकार और मुख्य सूचना आयुक्त
 दीपा हरिIRS (Resigned) 
 सज्जाद हसनIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व आयुक्त (योजना), मणिपुर सरकार
 कमल जसवालIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार
 नजीब जंगIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व उपराज्यपाल, दिल्ली
 राहुल खुल्लरIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व अध्यक्ष, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण
 के जॉन कोशीIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व राज्य मुख्य सूचना आयुक्त, पश्चिम बंगाल
 अजय कुमारIFoS(सेवानिवृत्त)पूर्व निदेशक, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार
 बृजेश कुमारIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार
 आलोक बी लालIPS (सेवानिवृत्त)पूर्व महानिदेशक (अभियोजन), उत्तराखंड सरकार
 सुबोध लालIPoS (Resigned)पूर्व उपमहानिदेशक, संचार मंत्रालय, भारत सरकार
 हर्ष मंदरIAS (सेवानिवृत्त)मध्य प्रदेश सरकार
 अमिताभ माथुरIPS (सेवानिवृत्त)पूर्व निदेशक, विमानन अनुसंधान केंद्र और पूर्व विशेष सचिव, कैबिनेट सचिवालय, भारत सरकार
 अदिति मेहताIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार
 शिवशंकर मेननIFS (सेवानिवृत्त)पूर्व विदेश सचिव और पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, भारत सरकार
 सोनालिनी मीरचंदानीIFS (Resigned)
 सुनील मित्राIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार
 नूर मोहम्मदIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, भारत सरकार
 अविनाश मोहननयIPS (सेवानिवृत्त)पूर्व पुलिस महानिदेशक, सिक्किम
 जुगल महापात्रIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, ग्रामीण विकास विभाग, भारत सरकार
 देब मुखर्जीIFS (सेवानिवृत्त)बांग्लादेश में पूर्व उच्चायुक्त और नेपाल में पूर्व राजदूत
 शिव शंकर मुखर्जीIFS (सेवानिवृत्त)यूनाइटेड किंगडम में पूर्व उच्चायुक्त
 प्रणब एस मुखोपाध्यायIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व निदेशक, इंस्टीट्यूट ऑफ पोर्ट मैनेजमेंट, भारत सरकार
 पी जी जे नम्पूदिरीIPS (सेवानिवृत्त)पूर्व पुलिस महानिदेशक, गुजरात
 अमिताभ पांडेIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, अंतर-राज्य परिषद, भारत सरकार
 मीरा पांडेIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व राज्य चुनाव आयुक्त, पश्चिम बंगाल
 निरंजन पंतIA&AS (सेवानिवृत्त)पूर्व उप नियंत्रक और महालेखा परीक्षक, भारत सरकार
 आलोक परतीIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, कोयला मंत्रालय, भारत सरकार
 आर पूर्णलिंगमIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, कपड़ा मंत्रालय, भारत सरकार
 आर एम  प्रेमकुमारIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व मुख्य सचिव, महाराष्ट्र
 एन के रघुपतिIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व अध्यक्ष, कर्मचारी चयन आयोग, भारत सरकार
 वी पी राजाIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व अध्यक्ष,  महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग
 सी बाबू राजीवIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, भारत सरकार
 के सुजाता रावIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व स्वास्थ्य सचिव, भारत सरकार
 सतवंत रेड्डीIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, रसायन और पेट्रोकेमिकल्स, भारत सरकार
 विजय लता रेड्डीIFS (सेवानिवृत्त)पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, भारत सरकार
 जूलियो रिबेरोIPS (सेवानिवृत्त)राज्यपाल पंजाब के पूर्व सलाहकार और रोमानिया में पूर्व राजदूत
 मानबेंद्र एन रॉयIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, पश्चिम बंगाल सरकार
 ए के सामंतIPS (सेवानिवृत्त)पूर्व पुलिस महानिदेशक (इंटेलिजेंस), पश्चिम बंगाल सरकार
 दीपकसाननIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व प्रधान सलाहकार (एआर), मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश
 जी शंकरनIC&CES (सेवानिवृत्त)पूर्व अध्यक्ष, सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सोना (नियंत्रण) अपीलीय न्यायाधिकरण
 एस सत्यभामाIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व अध्यक्ष, नेशनल सीड्स कॉर्पोरेशन, भारत सरकार
 एन सी सक्सेनाIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, योजना आयोग, भारत सरकार
 अर्धेंदु सेनIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व मुख्य सचिव, पश्चिम बंगाल
 अभिजीत सेनगुप्ताIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार
 आफ़ताब सेठIFS (सेवानिवृत्त)जापान में पूर्व राजदूत
 अशोक कुमार शर्माIFoS (सेवानिवृत्त)पूर्व एमडी, राज्य वन विकास निगम, गुजरात सरकार
 अशोक कुमार शर्माIFS (सेवानिवृत्)फिनलैंड और एस्टोनिया में पूर्व राजदूत
 नवरेखा शर्माIFS (सेवानिवृत्त)इंडोनेशिया में पूर्व राजदूत
 सुजाता सिंहIFS (सेवानिवृत्त)पूर्व विदेश सचिव, भारत सरकार
 तिरलोचन सिंहIAS (सेवानिवृत्)पूर्व सचिव, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, भारत सरकार
 जवाहर सरकारIAS (सेवानिवृत्त)  पूर्व सचिव, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार और पूर्व सीईओ, प्रसार भारती
 नरेंद्र सिसोदियाIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार
 थैंक्सी थेक्केराIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, अल्पसंख्यक विकास, महाराष्ट्र सरकार
 पी एस एस थॉमसIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व महासचिव, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
 गीता थूपलIRAS (सेवानिवृत्त)पूर्व महाप्रबंधक, मेट्रो रेलवे, कोलकाता
 हिंदल तैयबजीIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व मुख्य सचिव स्तर, जम्मू और कश्मीर सरकार
 अशोक वाजपेयीIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व अध्यक्ष, ललित कला अकादमी
 रमणी वेंकटेशनIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व महानिदेशक, याशदा, महाराष्ट्र सरकार

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जनपथ हिंदी जगत के शुरुआती ब्लॉगों में है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। शुरुआत में निजी ब्लॉग के रूप में इसकी शक्ल थी, जिसे बाद में चुनिंदा लेखों, ख़बरों, संस्मरणों और साक्षात्कारों तक विस्तृत किया गया। अपने दस साल इस ब्लॉग ने 2016 में पूरे किए, लेकिन संयोग से कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते इसके डोमेन का नवीनीकरण नहीं हो सका। जनपथ को मौजूदा पता दोबारा 2019 में मिला, जिसके बाद कुछ समानधर्मा लेखकों और पत्रकारों के सुझाव से इसे एक वेबसाइट में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया गया। इसके पीछे सोच वही रही जो बरसों पहले ब्लॉग शुरू करते वक्त थी, कि स्वतंत्र रूप से लिखने वालों के लिए अखबारों में स्पेस कम हो रही है। ऐसी सूरत में जनपथ की कोशिश है कि वैचारिक टिप्पणियों, संस्मरणों, विश्लेषणों, अनूदित लेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से एक दबावमुक्त सामुदायिक मंच का निर्माण किया जाए जहां किसी के छपने पर, कुछ भी छपने पर, पाबंदी न हो। शर्त बस एक हैः जो भी छपे, वह जन-हित में हो। व्यापक जन-सरोकारों से प्रेरित हो। व्यावसायिक लालसा से मुक्त हो क्योंकि जनपथ विशुद्ध अव्यावसायिक मंच है और कहीं किसी भी रूप में किसी संस्थान के तौर पर पंजीकृत नहीं है।

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