उत्तर प्रदेश में तत्काल हो वेज रिवीजन, असंगठित मजदूरों को मिले सामाजिक सुरक्षा : वर्कर्स फ्रंट

प्रमुख सचिव से अपनी अध्यक्षता में श्रमिक संगठनों की बैठक बुलाने का अनुरोध किया गया ताकि प्रदेश में करोड़ों असंगठित मजदूरों का जीवन सुरक्षित हो सके। इसी संदर्भ में साझा मंच ने 21 जुलाई को तमाम श्रमिक संगठनों की बैठक भी बुलाई है ताकि आगामी रणनीति तय की जा सके।

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अमेरिका की जूनियर पार्टनर बनी मोदी सरकार: AIPF

यह वक्तव्य आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट की राष्ट्रीय कार्यसमिति की हुई बैठक के आधार पर जारी किया गया। वक्तव्य को आइपीएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस. आर. दारापुरी ने जारी किया।

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मणिपुर: NFIW के तथ्यान्वेषी दल पर हुई FIR वापस लो

भारतीय महिला फेडरेशन, मध्य प्रदेश इन साथियों की बहादुरी पर उन्हें बधाई और धन्यवाद देती है वहीं उनके खिलाफ दर्ज हुई इस बेबुनियाद और वाहियात एफआईआर को तुरंत वापस लेने की मांग सरकार से करती है।

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मानवीय मूल्यों के पालन से ही आएगा शांति सद्भाव: डॉ. डैंजिल फर्नांडीज

उत्तर प्रदेश के राज्य समन्वयक प्रो. मोहम्मद आरिफ ने संविधान के मूल्यों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान प्रजा से नागरिक बनने की कहानी है तथा धर्मनिरपेक्षता और सद्भाव इसकी आत्मा है।

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राज बहादुर नहीं रहे! यूपी प्रेस क्लब अपने सबसे बड़े जख्म को कैसे भरेगा

वेतनविहीन भुक्तभोगी पत्रकार ख़ुद्दारी की चादर ओढ़कर अपना हर दर्द खुद सहता रहता है। वो किसी के आगे हाथ नहीं फैलाता। दर्द और फिक्र दिल और दिमाग में जमा होती रहती है, और एक दिन हृदयाघात जिन्दगी की सारी मुश्किलों को आसान कर देता है।

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हमारी, आपकी काल-बेला को लिखा है समरेश दा ने

पहली कहानी देश बांग्ला की प्रतिष्ठित पत्रिका देश में छपी। उपन्यास काल बेला के लिए उन्हें 1984 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।

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यह दुनिया बदली जा सकती है! मार्क्स की जयंती पर जलसा

बुद्ध और मार्क्स की तुलना करना ग़लत है। दोनों के समय में दो हज़ार बरस का अंतर है। बुद्ध और मार्क्स, दोनों के ही योगदान अपनी-अपनी तरह से अप्रतिम है। किसी एक को बड़ा बताने के लिए किसी दूसरे को छोटा करना ज़रूरी नहीं।

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खिरिया बाग के आंदोलनकारियों के ऊपर झूठे मुकदमे के खिलाफ नागर समाज का साझा बयान

नागर समाज ने कहा कि किसान नेता राजीव यादव के अपहरण करने की शिकायत करने पहुंची महिलाओं को एसपी आजमगढ़ के कार्यालय में न घुसने देना महिलाओं का अपमान है। वहीं दलित महिलाओं को मारने पीटने, जातिसूचक गालियां देने और उनके साथ अभद्रता करने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई न करके दलित महिलाओं पर मुकदमा करना सरासर संविधान का अपमान है।

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स्मृति शेष: बड़े भाईसाहब से कैसे साथी बने कॉमरेड केसरी सिंह

उनके ठीक होने की इच्छा, उनके अंतिम समय तक कुछ न कुछ सार्थक करने और सीखने का व्यक्तित्व हमेशा हमारी यादों में रहेगा। मौत तो सबको ही आती है लेकिन वे लोग मौत के बाद भी जीते हैं जो मौत के डर से जीते-जी हथियार नहीं डाल देते।

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गीत, नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से याद किया सफदर को

सफ़दर ने आधुनिक भारत में नुक्कड़ को लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय बनाया इसलिए 2 जनवरी 1989 को उनकी मृत्यु के बाद 12 अप्रैल उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। “कुर्सी-कुर्सी-कुर्सी” सफदर का पहला नाटक था।

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