कोरोना की तबाही से जागा बनारस, स्वास्थ्य-शिक्षा और आजीविका के मुद्दे पर जन अधिकार यात्रा
इस यात्रा से पहले बनारस से पहली बार स्वास्थ्य का अधिकार बनाए जाने की मांग उठी थी और उसके समर्थन में एक हस्ताक्षर अभियान चलाया गया था।
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इस यात्रा से पहले बनारस से पहली बार स्वास्थ्य का अधिकार बनाए जाने की मांग उठी थी और उसके समर्थन में एक हस्ताक्षर अभियान चलाया गया था।
Read Moreअविश्वास प्रस्ताव में कहा गया है कि मोदी सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का झांसा दिया था और इस दिशा में कुछ भी ठोस नहीं किया था। प्रस्ताव में यह भी उल्लेख किया गया है कि भाजपा और प्रधानमंत्री अपने एमएसपी से संबंधित वादों से बार-बार मुकरा है, जिसमें सभी किसानों के लिए C2 + 50% एमएसपी को वास्तविकता बनाना शामिल है। सरकार ने बहुप्रचारित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में भी किसानों को धोखा दिया, जहां सरकारी खर्च बढ़ा, किसानों का कवरेज कम हुआ और निगमों ने मुनाफाखोरी की।
Read Moreकम्युनिस्ट लोग उन्हें कामरेड कहते थे और सर्वोदयी और समाजवादी लोग विलास भाई। भक्ति आंदोलन की विरासत को ढोने वाला वार्करी समाज उन्हें अपना साथी मानता था। इसी तरह महानुभाव और लिंगायत समाज से भी वे अपनापन रखते थे। मुस्लिम समाज उन्हें अपना दोस्त मानता था और गांधीवादी-समाजवादी लोग उन्हें अपना नया व्याख्याकार कहते थे। आंबेडकरवादी उन्हें अपने करीब मानते थे। स्त्रीवादी उन्हें अपना वकील समझती थीं।
Read Moreकिसान संसद ने सभी किसानों और सभी कृषि उपजों के लिए लाभकारी एमएसपी की गारंटी के लिए, भारत सरकार को एक क़ानून पेश करने, और भारतीय संसद को पारित करने का निर्देश देते हुए, एक प्रस्ताव पारित किया – किसान संसद ने स्वामीनाथन आयोग की कई प्रगतिशील सिफारिशों को लागू करने के लिए कहा – किसान संसद में “सदन के अतिथियों” की भागीदारी दिखी।
Read Moreआज की कार्यवाही में एपी फार्मर्स एसोसिएशन कोआर्डिनेशन कमिटी के बैनर तले किसान संगठनों के एक प्रतिनिधिमंडल ने भाग लिया। एमएसपी पर बहस खत्म होने के बाद शुक्रवार को किसान संसद किसान विरोधी नीतियों को लेकर मौजूदा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है। भारत छोड़ो दिवस के अवसर पर सोमवार को अखिल महिला संसद में प्रस्ताव पर मतदान होगा।
Read Moreआज किसान संसद में पराली जलाने के मुद्दे और सरकार द्वारा किसी न किसी बहाने किसानों को अपराधी बनाने के प्रयासों पर चर्चा की गई। कोविड लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक तरीके से एक आयोग की स्थापना करके दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण को कम करने/प्रबंधित करने के नाम पर एक अध्यादेश लायी थी। अध्यादेश को फिर से प्रख्यापित किया गया और हाल ही में एक विधेयक के रूप में लोकसभा में पेश किया गया। किसान संसद ने संज्ञान लिया और इस तथ्य पर स्पष्ट रूप से प्रकाश डाला कि सरकार 30 दिसंबर 2020 को किसान प्रतिनिधियों से की गई प्रतिबद्धता से मुकर गई है। जबकि नए विधेयक में, दंड प्रावधान (धारा 14) में एक अपवाद जोड़ी गई है कि किसानों को एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने और पांच साल की जेल की सजा के प्रावधान से छूट दी जाएगी; “पर्यावरण मुआवजा” के नाम पर धारा 15 के रूप में किसानों पर एक नया दंड प्रावधान शामिल किया गया है।
Read Moreभारतीय संसद के समानांतर किसान संसद के 8वें दिन, विद्युत संशोधन विधेयक पर बहस और कार्यवाही जारी रही। यह संयोग से भारत सरकार द्वारा विरोध कर रहे किसानों को औपचारिक वार्ता के दौरान आश्वासन देने के बावजूद कि वह विद्युत संशोधन विधेयक को वापस ले लेगी, संसद के मानसून सत्र के कार्यावली में सूचीबद्ध है। किसान संसद द्वारा अनजाने में, इस पर एक प्रस्ताव संसद के सातवें दिन जारी किया गया था, लेकिन एक पूर्ण बहस और विचार-विमर्श पर आधारित अंतिम प्रस्ताव आज जारी किया गया है।
Read Moreएंबुलेंस कर्मियों के हड़ताल पर सरकार ने भी सख़्त रवैया अपना रखा है। सरकार की सख़्ती को देखते हुए एंबुलेंस संचालन करने वाली कंपनी जीवीके ईएमआरआई ने एंबुलेंस संघ के प्रदेश अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों समेत 14 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है।
Read Moreसंयुक्त किसान मोर्चा ने हरियाणा के किसानों से भाजपा की साज़िश में न फसने की अपील की। एसकेएम ने कहा कि भाजपा की हरियाणा इकाई की प्रस्तावित “तिरंगा यात्रा” मुख्य रूप से किसानों को भड़काने के लिए है। एसकेएम ने किसानों से आग्रह किया कि वे भाजपा की इस कूटनीति को समझें और राष्ट्रीय ध्वज की आड़ में इस गंदी रणनीति को सफल न होने दें। एसकेएम ने कहा कि इस यात्रा का विरोध नहीं किया जाएगा और राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा भी सुनिश्चित की जाएगी। एसकेएम ने स्पष्ट किया कि भाजपा, जजपा और उनके नेताओं के खिलाफ बहिष्कार/काले झंडे के विरोध के अन्य सभी कार्यक्रम जारी रहेंगे।
Read Moreकिसानों पर तरह-तरह के झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाने के बाद, “अय्याशजीवी” एक नया प्रयास है – लाखों मेहनती, शांतिपूर्ण और दृढ़ किसानों की सच्चाई इन प्रयासों से दबाया नहीं जा सकता है – किसानों के सत्य पर आधारित यह आंदोलन विजयी होगा।
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