हम डटे रहेंगे! आयकर विभाग के छापे के बाद Newslaundry का आधिकारिक वक्तव्य


शुक्रवार को आयकर विभाग की एक टीम ने न्‍यूज़लॉन्‍ड्री और न्‍यूज‍़क्लिक पर छापा मारा। इससे पहले भी आयकर विभाग न्‍यूज़लॉन्‍ड्री जा चुका है और न्‍यूज़क्लिक पर प्रवर्तन निदेशालय का छापा पड़ चुका है। चौबीस घंटे चले छापे के बाद न्‍यूज़लॉन्‍ड्री के मुख्‍य कार्यकारी अभिनंदन सेखरी ने एक आधिकारिक वक्‍तव्‍य जारी किया है जिसे नीचे पढ़ा जा सकता है।

संपादक

आयकर विभाग की एक टीम 10 सितम्‍बर को दिन में सवा बारह बजे न्‍यूज़लॉन्‍ड्री के पंजीकृत दफ्तर पहुंची और मुझे दिखाए कागज के अनुसार धारा 133ए के अंतर्गत उसने ‘सर्वे’ किया। वे 11 सितम्‍बर को दोपहर 12.40 पर वापस गए। मुझे कहा गया कि मैं अपने वकील से बात नहीं कर सकता और मुझे अपना फोन जमा कराना होगा। छह या सात लोगों की वह टीम पेशेवर और विनम्र थी। मुझे बताया गया कि बिना कोई कानूनी सलाह लिए मुझे उनकी बात कानूनन माननी होगी। उन्‍होंने परिसर में रखे सभी कंप्‍यूटरों की तलाशी और छानबीन की। मेरा निजी मोबाइल, लैपटॉप और दफ्तर की कुछ मशीनें अपने अख्तियार में लेकर आइटी टीम ने उनमें से सारा डेटा डाउनलोड कर लिया। मेरे खयाल से यह (मेरे निजी लैपटॉप और मोबाइल से सारा डेटा निकालना) मेरे निजता के अधिकार का उल्‍लंघन है। कॉपी किये गए डेटा की कोई हस्‍ताक्षरित प्रति मुझे नहीं दी गयी। फिर भी, हम बाद में इसे देख लेंगे। यह आइटी टीम का दूसरा दौरा था मेरे दफ्तर में, पहली बार वे जून में आए थे। तब भी हमने उन्‍हें सहयोग किया था। हमारे पास छुपाने को कुछ भी नहीं है, हमने हर काम नियम कानून के हिसाब से किया है और हमने किसी भी कानून का उल्‍लंघन या अतिक्रमण नहीं किया है। हम अपना व्‍यवसाय ईमानदारी और अखंडता के साथ करते हैं। पहले भी हमने अपनी फंडिंग और बहीखातों से सम्‍बंधित सारे कागज़ात आयकर अधिकारियों को दिए हैं। कानून की जरूरत के हिसाब से हम हर तरीके से सहयोग करने को तैयार हैं। हम जनहित की पत्रकारिता भी करते रहेंगे क्‍योंकि यही हमारे होने का आधार है। हमें उन लोगों से सहयोग मिलता है जो जनहित की खबरों का मूल्‍य समझते हैं न कि सरकार या कॉरपोरेट विज्ञापनों या जनसंपर्क से आने वाली खबरों का, इसीलिए वे न्‍यूज़लॉन्‍ड्री को सचेत रूप से सब्‍सक्राइब करते हैं। हमने जिस मॉडल को चुना है और साधा है, उस पर हमें गर्व है। आप नीचे दिए लिंक पर हमें सहयोग कर सकते हैं:

मुझे अपनी टीम पर गर्व है और मैं अपने शानदार साथियों का हमेशा आभारी रहूंगा, खासकर उन कुछ युवतर साथियों का जिन्‍होंने तमाम मुश्किलों के बावजूद वह करना चुना है जो वे कर रहे हैं- उन सभी का शुक्रिया। हम डटे रहेंगे। आप भी जानते हैं कि हम क्‍यों साफ-सुथरे हैं- न्‍यूज़लॉन्‍ड्री मतलब सबकी धुलाई।   



About जनपथ

जनपथ हिंदी जगत के शुरुआती ब्लॉगों में है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। शुरुआत में निजी ब्लॉग के रूप में इसकी शक्ल थी, जिसे बाद में चुनिंदा लेखों, ख़बरों, संस्मरणों और साक्षात्कारों तक विस्तृत किया गया। अपने दस साल इस ब्लॉग ने 2016 में पूरे किए, लेकिन संयोग से कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते इसके डोमेन का नवीनीकरण नहीं हो सका। जनपथ को मौजूदा पता दोबारा 2019 में मिला, जिसके बाद कुछ समानधर्मा लेखकों और पत्रकारों के सुझाव से इसे एक वेबसाइट में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया गया। इसके पीछे सोच वही रही जो बरसों पहले ब्लॉग शुरू करते वक्त थी, कि स्वतंत्र रूप से लिखने वालों के लिए अखबारों में स्पेस कम हो रही है। ऐसी सूरत में जनपथ की कोशिश है कि वैचारिक टिप्पणियों, संस्मरणों, विश्लेषणों, अनूदित लेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से एक दबावमुक्त सामुदायिक मंच का निर्माण किया जाए जहां किसी के छपने पर, कुछ भी छपने पर, पाबंदी न हो। शर्त बस एक हैः जो भी छपे, वह जन-हित में हो। व्यापक जन-सरोकारों से प्रेरित हो। व्यावसायिक लालसा से मुक्त हो क्योंकि जनपथ विशुद्ध अव्यावसायिक मंच है और कहीं किसी भी रूप में किसी संस्थान के तौर पर पंजीकृत नहीं है।

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