पश्चिमी यूपी में साम्प्रदायिकता को रोकने के लिए भाईचारा मंच का गठन


बढ़ती साम्प्रदायिकता को रोकने के उद्देश्य से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 14 ज़िलों के प्रगतिशील नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मिलकर भाईचारा मंच का गठन किया है। मंच देश के संविधान की मूल भावना में आस्था रखने वाले नागरिकों को एकजुट करेगा। साथ ही मंच धार्मिक और जातिगत आधार पर नागरिकों के उत्पीड़न के ख़िलाफ़ संघर्ष भी करेगा। गौतमबुद्ध नगर और बुलंदशहर में मंच की इकाइयों का गठन हो गया है। नेतृत्व पूरे उत्तर प्रदेश में मंच के विस्तार की योजना पर काम कर रहा है।

बीते 5 जून को मेरठ के ईस्टर्न कोर्ट रोड स्थित बाल सदन के हाल में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई ज़िलों के विभिन्न जनसंगठनों, दलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने बैठक की। देश में बढ़ती साम्प्रदायिकता पर चिंता ज़ाहिर करते हुए वक्ताओं ने कहा, “दुर्भाग्य से देश की गद्दी पर इस समय ऐसे राजनीतिक दल का क़ब्ज़ा हो गया है जिसका भारत की अनेकता में एकता में विश्वास ही नहीं है; जो संविधान की शपथ तो लेते हैं लेकिन उसके धर्मनिरपेक्ष, सामाजिक न्याय व जनतांत्रिक चरित्र को नहीं मानते; जिनका नारा ही धर्म के नाम पर राष्ट्र का निर्माण करना है।”

भाईचारा मंच ने जो मुख्य कार्य अपने सामने रखे हैं उसके तहत मंच साम्प्रदायिक ताकतों के षड्यंत्र एवं अर्थव्यवस्था पर हो रहे हमलों के ख़िलाफ़ व्यापक पैमाने पर जनजागरण अभियान चलाएगा। देश में भाईचारे को बचाए रखने के लिए सभी धर्म और जातियों के लोगों के साथ साझा आंदोलन करेगा। जहां भी धर्म और जाति के आधार पर लोगों के साथ अन्याय होगा वहां भाईचारा मंच की विभिन्न स्तर की कमेटियाँ सीधा हस्तक्षेप करेंगी। इसके साथ ही मंच देश के संविधान में दर्ज धर्मनिरपेक्षता एवं सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को अमल में लाने पर ज़ोर देगा।

मंच के सदस्य गंगेश्वर दत्त शर्मा ने कहा, “साम्प्रदायिकता की राजनीति को ख़त्म करने के लिए जनता की आपस में एकजुटता के लिए मंच का गठन किया गया है। देश में लगातार बढ़ती साम्प्रदायिकता के कारण समाज के प्रगतिशील तबके में इसकी ज़रूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी।”

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 14 ज़िलों में सक्रिय है भाईचारा मंच

पश्चिमी उत्तर प्रदेश भाईचारा मंच की कमेटी में मेरठ, मुज़फ़्फ़रनगर, शामली, सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, हापुड़, ग़ाज़ियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा सहित 14 ज़िलों के प्रतिनिधि शामिल हैं। गौतमबुद्ध नगर के अधिवक्ता, सामाजिक कार्यकर्ता, मज़दूर, किसान, सामाजिक कार्यकर्ताओं व बुद्धिजीवियों ने 19 जून 2022 को एक सम्मेलन कर भाईचारा मंच की जिला इकाई का गठन किया।

भाईचारा मंच के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संरक्षक कर्नल जयवीर सिंह ने बताया, “देश में फैल रहे नफ़रत के ख़िलाफ़ जनता को जागरूक करने के लिए मंच का गठन किया गया है। पश्चिमी यूपी के 14 ज़िलों में मंच की गतिविधियाँ शुरू हो गई हैं। बुलंदशहर और गौतमबुद्ध नगर में कमेटियों का गठन कर दिया गया है और अन्य ज़िलों में गठन की प्रक्रिया जारी है।”

मंच की सदस्यता की योग्यता के सवाल पर उन्होंने कहा, “भाईचारा मंच के उद्देश्यों से सहमति रखने और लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास करने वाला कोई भी व्यक्ति मंच की सदस्यता ले सकता है। लेकिन धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव को मानने वाले व्यक्ति को मंच अपनी सदस्यता नहीं देगा।”

भाईचारा मंच ने अग्निपथ योजना के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर सौंपा ज्ञापन

मंगलवार को गौतमबुद्ध नगर ज़िले के सूरजपुर स्थित कलेक्ट्रेट परिसर में भाईचारा मंच के बैनर तले बड़ी संख्या में एकजुट होकर लोगों ने अग्निपथ योजना के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया। चार वर्षों के लिए सैनिकों की भर्ती का विरोध करते हुए मंच के सदस्यों ने इस योजना और केन्द्र सरकार के ख़िलाफ़ जमकर नारेबाज़ी की। डीएम कार्यालय के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपकर भाईचारा मंच के सदस्यों ने माँग किया कि केन्द्र सरकार अग्निपथ योजना को तत्काल प्रभाव से रद्द करे अन्यथा मंच बड़े आंदोलन को बाध्य होगा।

राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन में मंच ने ज्ञापन के माध्यम से कहा, “अग्निपथ योजना की घोषणा कर सरकार ने वर्षों से सेना में भर्ती होने के लिए मेहनत कर रहे युवाओं के सपनों को तोड़ा है। भारत सरकार ने न केवल बेरोज़गार नौजवानों को धोखा दिया है बल्कि देश की सुरक्षा के साथ भी समझौता किया है। वर्तमान सरकार हर क़िस्म के संगठित रोज़गार को ख़त्म कर ठेके पर कर्मचारी रख रही है जो देश के नौजवानों एवं नागरिकों के हितों के विरूद्ध है।”

भाईचारा मंच के जिला संयोजक डॉक्टर रूपेश ने कहा, “सेना में भर्ती होने के लिए देश के करोड़ों नौजवान वर्षों तक तैयारी करते हैं। तीन वर्षों से भर्ती नहीं होने से नौजवान पहले से ही परेशान थे, सरकार ने उनके भविष्य पर कुठाराघात किया है। सेना में आम तौर पर किसानों और मज़दूरों के बच्चे ही जाते हैं। सरकार ने लाखों नौजवानों को बेरोज़गारी के दलदल में धकेल दिया है।”

ज्ञापन सौंपने से पूर्व सभा को संबोधित करते हुए सह संयोजक राजकुमार भाटी ने कहा, “भाजपा नेता व पूर्व जनरल वीके सिंह बढ़-चढ़कर अग्निपथ योजना का समर्थन कर रहे हैं लेकिन वही अपना 6 महीने का कार्यकाल बढ़वाने के लिए कोर्ट चले गए थे। भाजपा एक तरफ़ तो संगठित रोज़गार ख़त्म कर पूँजीपतियों की सेवा में सरकारी संस्थाओं का निजीकरण कर रही है। दूसरी ओर देश की जनता इनके ख़िलाफ़ एकजुट न हो जाए इसके लिए पूरे देश में साम्प्रदायिकता का ज़हर घोलकर लोगों को आपस में लड़ा रही है।”


लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं


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