तीन दिन से जारी है मारुति के मजदूरों का दमन, प्रशासन ने नहीं माना कोर्ट का आदेश

मारुति सुजुकी के अस्थायी श्रमिकों ने पिछले तीन दिनों में मानेसर और गुरुग्राम में पुलिस कार्रवाई के बावजूद असाधारण साहस और संकल्प दिखाया और पीछे हटने से साफ इनकार कर दिया। प्रबंधन और पुलिस-प्रशासन लंबे समय से चल रही इस कार्रवाई के बावजूद श्रमिकों को डराने और उनके संघर्ष को रोकने में सफल नहीं हो पा रहे हैं।

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अडानी-अंबानी के बीच मजदूरों के ‘अवैध शिकार’ पर समझौते की जड़ें औद्योगिक क्रांति तक जाती हैं

नो पोचिंग अनुबंध के अनुसार अम्बानी समूह के 3 लाख 80 हजार कर्मचारी अब अडानी समूह में नौकरी नहीं कर पाएंगे। अडानी समूह के 23 हजार कर्मचारी भी अम्बानी समूह की किसी कम्पनी में कम नहीं कर सकेंगे। अब इन दोनों कंपनियों द्वारा आपस में मजदूरों का अवैध शिकार नहीं किया जाएगा। तो क्या मान लिया जाय कि मजदूरों का शिकार दोनों कंपनियां तो करेंगी, लेकिन वैध तरीके से? यह शिकार का वैध तरीका मजदूरों की उन्नति का मार्ग बंद कर देगा।

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पॉलिटिकली Incorrect: बिजली और आयुध कर्मचारियों की फौरी जीत के आगे लटका शून्य

क्या ठेका कर्मचारियों के लिए हड़ताल का आह्वान कभी हुआ? क्या सबको समान सामाजिक सुरक्षा की बात यूनियनों के एजेंडे में कभी शामिल हुई? व्यवस्था परिवर्तन कभी मुद्दा बना? कर्मचारी यूनियनें इस पर ख़ामोश क्‍यों हैं?

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मजदूर संगठनों का राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन, दिल्ली में गिरफ्तारियां

संघ-भाजपा समर्थित भारतीय मजदूर संघ के अलावा सभी केन्द्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों ने आज के कार्यक्रम में हिस्सा लिया.

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