उत्तराखंड: UCC को महिला संगठनों, समूहों और प्रतिनिधियों ने एक स्वर में किया खारिज, पढ़ें बयान

किसी भी कानून का महत्वपूर्ण पहलू यह है कि कानून के प्रत्येक हितधारक को कानून तक पहुंचने में सक्षम होना चाहिए या होना चाहिए। मौजूदा माहौल में जहां अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है, इससे अल्पसंख्यक समुदायों की महिलाओं के लिए किसी भी समान कानून तक पहुंच मुश्किल हो जाएगी, चाहे वह कितना ही प्रगतिशील क्यों न बना हो, (जो इस प्रतिगामी कानून में मामला नहीं है), जबकि इसका मूल उद्देश्य है अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुसलमानों पर अपनी एक श्रेष्ठता दिखाएं।

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महिला समूहों का चीफ जस्टिस को खुला पत्र- इस्तीफा दीजिए, देश की महिलाओं से माफी मांगिए!

पत्र में लिखा गया है कि मुख्‍य न्‍यायाधीश के पास इस देश के संविधान की व्‍याख्‍या करने की ताकत है, बावजूद इसके यह अफ़सोस की बात है कि उन्‍हें ‘’सिडक्‍शन’’, ‘’रेप’’ और ‘’विवाह’’ का अर्थ हमें समझाना पड़ रहा है।

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