दुर्ग में दरार? हिन्दी पट्टी की हृदयस्थली में हिन्दुत्व को मिली शिकस्त के मायने

मोदी की नैतिक हार को रेखांकित करने वाला यह चुनाव और बाद की यह स्थिति उनके लिए तथा व्यापक संघ-भाजपा परिवार के लिए कई सबक पेश करती है। अब उन्हें यह तय करना है कि वह आत्ममंथन करेंगे या किसी अन्य के माथे दोषारोपण करके इतिश्री कर लेंगे!

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बनारस: बेरोजगारी के खिलाफ AIDYO का सम्मेलन, प्रस्ताव पारित

कन्वेंशन में बढ़ती बेरोजगारी के खिलाफ आल इंडिया डेमोक्रेटिक यूथ आर्गेनाइजेशन के उत्तर प्रदेश सचिव मंडल सदस्य दिनेश कांत मौर्य ने एक प्रस्ताव पेश किया जिस पर विजय प्रकाश गुप्त, यशवंत राव व उमाशंकर यादव ने अपने विचार व्यक्त किये और सर्व सम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया।

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उत्प्रेरक जैसी हो सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका : नन्दलाल मास्टर

आशा ट्रस्ट के समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने कहा कि समाज के विभिन्न वर्गों को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, न्याय जैसे मुद्दों पर संगठित करने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं को बड़ी भूमिका लेनी होगी जिससे सभी का जीवन खुशहाल हो।

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यूपी और बिहार के गरीबों के बीच बढ़ता जा रहा है हानिकारक पैकेटबंद खाने का चलन: अध्ययन

भारत में खाद्य और पेय उद्योग 34 मिलियन टन की बिक्री के साथ दुनिया के सबसे बड़े उद्योगों में से एक है। यूरोमॉनिटर के आंकड़ों के अनुसार, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत 2020 तक दुनिया में पैकेज्ड फूड के लिए तीसरे सबसे बड़े बाजार के रूप में उभरने के लिए तैयार है।

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क्या संविधान पढ़ने की सलाह देना भी देश में अब गुनाह हो गया है?

किसी धर्म या विचारधारा में विश्वास करना उसमें आस्था रखना या न रखना यह व्यक्ति का निजी मामला है। इसके लिए कोई दबाव या जबरदस्ती नहीं की जानी चाहिए। भावना आहत होने या धर्म का अपमान होने के नाम पर किसी व्यक्ति से उसकी नौकरी छीन लीजिए, उसकी अभिव्यक्ति की आजादी छीन लीजिए, उसके अधिकार छीन लीजिए, ये मनमानी है। आजकल कुछ लोग देश को ऐसी ही मनमानियों से चलाने की कोशिश कर रहे हैं।

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बनारस में शुरू हुई वरुणा नदी को बचाने की मुहिम: ‘गाँव के लोग’ की नदी यात्रा

अस्सी नदी का अस्तित्व शहर की गंदगी ने लील लिया लेकिन वरुणा की हालत उससे कम बदनसीबी से भरी नहीं थी। जहां से यात्रा को वापस मुड़कर फिर महजिदिया घाट आना था उस सुरवा घाट पर जहां कुछ महीने पहले नाव चला करती थी अब वहां शायद घुटने भर पानी भी नहीं रह गया था। बाँस का एक पुल बना दिया गया था और दूसरे किनारे पर घटवार झोपड़ी में बैठा किराया वसूल करता था।

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अंबेडकर जयंती: मनरेगा मजदूरों ने संवैधानिक मूल्यों पर जागरूकता के लिए निकाली बनारस में रैली

रैली को संबोधित करते हुए मनरेगा मजदूर यूनियन की रेनू पटेल ने कहा कि संविधान पर जितना खतरा बढ़ेगा उतना ही बाबा साहब का मान बढ़ता जाएगा। उन्होंने कहा कि बाबा साहब की जयंती आज समाज के सभी वर्गों के लोग मना रहे हैं। हम लोग लोगों को लगातार संवैधानिक मूल्यों के प्रति जागरूक करने का काम कर रहे हैं जो कि आगे भी जारी रहेगा।

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बनारस के मुसहर गांवों में चिंता का सबब बन रहा है कुपोषण का दोहरा बोझ

यदि कुपोषित बच्चों को उनके आरंभिक जीवन में अपर्याप्त पोषण प्राप्त होता है, तो ऐसे बच्चों को कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण एनसीडी का ज्‍यादा खतरा होता है बजाय उनके जो पर्याप्त पोषण प्राप्त करते हैं। अवरुद्ध बच्चे, बाद में जीवन में यदि सामान्य पौष्टिक भोजन के बजाय उच्च वसा, नमक और चीनी वाले अनियमित अल्ट्रा-प्रोसेस्ड भोजन और पेय का सेवन करते हैं, तो मोटापे के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं और बाद में उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय रोगों जैसे असंचारी कार्डियो-वैस्कुलर रोगों में एक या अन्य रूप का उन्‍हें सामना करना पड़ सकता है।

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धार्मिक सत्ता स्थापित करने का प्रयास लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ: प्रो. राम पुनियानी

पूर्व की सरकारों के दौर में भी मीडिया की भूमिका पर सवाल उठते थे पर वह अपवादस्वरूप होते थे आज हालत इससे उलट है। मीडिया ने जनसरोकार से किनारा कर के सत्ता सरोकार से रिश्ता बना लिया है जिससे लोकतंत्र के चौथे खम्भे से आम जन का भरोसा उठता जा रहा है।

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सामाजिक एकता का खात्मा डेमोक्रेसी को चैलेंज है: प्रोफेसर मलिक

प्रो. मलिक ने इस बात पर अफसोस जताया कि अपने शहर में नजीर अब बेगाने हो गये हैं। जिस बनारस की परम्पराओं को लेकर उन्होंने ढेर सारे शेर लिखे उस बनारस का उन्हें भूलना दुखद है।

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