उत्तर प्रदेश में तत्काल हो वेज रिवीजन, असंगठित मजदूरों को मिले सामाजिक सुरक्षा : वर्कर्स फ्रंट

प्रमुख सचिव से अपनी अध्यक्षता में श्रमिक संगठनों की बैठक बुलाने का अनुरोध किया गया ताकि प्रदेश में करोड़ों असंगठित मजदूरों का जीवन सुरक्षित हो सके। इसी संदर्भ में साझा मंच ने 21 जुलाई को तमाम श्रमिक संगठनों की बैठक भी बुलाई है ताकि आगामी रणनीति तय की जा सके।

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आजमगढ़ का सबसे मज़बूत किला कैसे हार गयी समाजवादी पार्टी?

विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद आजमगढ़ जनपद की 10 विधानसभा सीटें सपा को मिल जाने के बाद पार्टी खेमे में जश्न का माहौल था लिहाजा इस बात पर विवेचना करना भी शायद ज़रूरी नहीं समझा गया कि 2022 के विधानसभा चुनाव में आजमगढ़ की इन दस सीटों पर भाजपा का वोट प्रतिशत 10 से बढ़कर 29 प्रतिशत हो गया है।

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पंजाब में महिलाओं के भूख हड़ताल का 97वां दिन,15 सितंबर को जयपुर में किसान संसद

पंजाब के सोहाना में महिला किसानों की भूख हड़ताल 97वें दिन पर पहुंच गई है। महिला, जो भारत में बहुसंख्यक किसान हैं, और किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रही हैं, ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ाई अपने हाथों में ले ली है।

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जातिवार जनगणना की मांग पर UP-बिहार में बहुजन समाज का प्रदर्शन

बिहार-यूपी के कई एक संगठनों और बुद्धिजीवियों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आज के दिन को राष्ट्रीय ओबीसी दिवस घोषित करते हुए जातिवार जनगणना सहित अन्य मांगों पर सड़क पर उतरने का आह्वान किया था.प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र बनारस से भागलपुर तक अच्छी तादाद में बहुजन समाज और प्रगतिशील नागरिक सड़क पर उतरे और विरोध मार्च,प्रदर्शन व सभाओं का आयोजन किया.अन्य सामाजिक-राजनीतिक संगठन भी विभिन्न जगहों पर सड़क पर आए.

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यूपी में बाकी जातियों की नाराजगी पर क्यों नहीं सवाल कर रहा है मीडिया?

मीडिया जब जाति पर चर्चा करने ही लगा है तो उसे एक जाति-विशेष के बजाय उत्तर प्रदेश की तमाम जातियों की नाराजगी और राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं पर चर्चा करनी चाहिए।

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किसान संसद में प्रतिष्ठित नागरिकों-विशेषज्ञों को “सदन के अतिथि” के रूप में आमंत्रित किया जायेगा!

आज किसान संसद में पराली जलाने के मुद्दे और सरकार द्वारा किसी न किसी बहाने किसानों को अपराधी बनाने के प्रयासों पर चर्चा की गई। कोविड लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक तरीके से एक आयोग की स्थापना करके दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण को कम करने/प्रबंधित करने के नाम पर एक अध्यादेश लायी थी। अध्यादेश को फिर से प्रख्यापित किया गया और हाल ही में एक विधेयक के रूप में लोकसभा में पेश किया गया। किसान संसद ने संज्ञान लिया और इस तथ्य पर स्पष्ट रूप से प्रकाश डाला कि सरकार 30 दिसंबर 2020 को किसान प्रतिनिधियों से की गई प्रतिबद्धता से मुकर गई है। जबकि नए विधेयक में, दंड प्रावधान (धारा 14) में एक अपवाद जोड़ी गई है कि किसानों को एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने और पांच साल की जेल की सजा के प्रावधान से छूट दी जाएगी; “पर्यावरण मुआवजा” के नाम पर धारा 15 के रूप में किसानों पर एक नया दंड प्रावधान शामिल किया गया है।

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UP: 102, 108 और एडवांस लाइफ़ सपोर्ट एम्बुलेंस सेवा ठप, हड़ताल पर हजारों कर्मी, 700 से ज्यादा बर्खास्त

एंबुलेंस कर्मियों के हड़ताल पर सरकार ने भी सख़्त रवैया अपना रखा है। सरकार की सख़्ती को देखते हुए एंबुलेंस संचालन करने वाली कंपनी जीवीके ईएमआरआई ने एंबुलेंस संघ के प्रदेश अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों समेत 14 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है।

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MKS ने की टिकरी सीमा पर किसान मोर्चे पर हमले की निंदा, पंजाब में प्रदर्शन के 300 दिन पूरे

किसान संसद के चौथे दिन आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 पर बहस – 1955 अधिनियम में लाए गए संशोधन स्पष्ट रूप से किसान-विरोधी और उपभोक्ता-विरोधी हैं जिसका उद्देश्य खाद्य आपूर्ति को बड़े कॉरपोरेट और व्यापारियों के नियंत्रण में देना है, और इसे निरस्त करने की आवश्यकता है

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SKM ने किया मिशन UP और उत्तराखंड का ऐलान, 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में महापंचायत

इस मिशन के तहत संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले संघर्षरत इन दो प्रदेशों के किसान संगठन सहित पूरे देश के किसान संगठन अपनी पूरी ऊर्जा इन दो प्रांतों में आंदोलन की धार तेज करने पर लगाएंगे। इस मिशन का उद्देश्य होगा कि पंजाब और हरियाणा की तरह उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी हर गांव किसान आंदोलन का दुर्ग बने, कोने-कोने में किसान पर हमलावर कॉरपोरेट सत्ता के प्रतीकों को चुनौती दी जाए, और किसान विरोधी भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगियों का हर कदम पर विरोध हो।

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बढ़ती महंगाई के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर UP और MP में भारी विरोध प्रदर्शन

जनवादी लोक मंच के रवींद्र नाथ राय ने एक विज्ञप्ति जारी करते हुए ‍डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस सहित अन्य आवश्यक वस्तुओं में हुई बेतहाशा बृद्धि को वापस लेने, तीनों किसान विरोधी काले कानून वापस लेने, बिजली बिल 2020 वापस लेने, किसान आंदोलन में भाग लेने वालों का उत्पीड़न बंद करने और किसान आंदोलन में मारे गए किसानों के परिवारों को समुचित मुआवजा दिए जाने की मांग की।

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