![](https://junputh.com/wp-content/uploads/2021/08/trilo-348x215.jpg)
‘मैं तुमसे और तुम्हीं से बात किया करता हूं’! कवि त्रिलोचन को याद करते हुए…
खुद को कितना बोलने देना है, इस मामले में असंयम बरतने वाले त्रिलोचन, कविता को कितना बोलने देना है, इस मामले में सदैव संयमी रहे। त्रिलोचन जी का वस्तुसत्य व माया और उनकी लंबी बतकही निश्चित ही उनके एक गंभीर नागरिक सोच का जीवंत प्रमाण है।
Read More