तिर्यक आसन: शुद्ध फ़कीर, संकर फ़कीर और साइलेन्ट फ़कीर
इस देश में जिसके भी साथ बेचारा जुड़ा उसकी दुर्दशा तय है। बेचारी गंगा, बेचारी गाय, बेचारी स्त्री, बेचारे आदिवासी, बेचारे दलित, बेचारे अल्पसंख्यक, बेचारे किसान, बेचारे मजदूर, बेचारी भारत माता। इनकी बेचारगी ‘प्रोडक्ट’ बन जाती है। प्रोडक्ट अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बिकता है।
Read More