‘पठान’ उर्फ बेवजह विवाद में एक चालू सिनेमा का प्रतीक बन कर उभरना
अपनी तमाम सीमाओं के बावजूद बॉलीवुड की पहचान उन चंद पेशेवर स्थानों में है जो समावेशी और धर्मनिरपेक्ष हैं। यह बहुसंख्यक दक्षिणपंथियों को हमेशा से ही खटकता रहा है।
Read MoreJunputh
अपनी तमाम सीमाओं के बावजूद बॉलीवुड की पहचान उन चंद पेशेवर स्थानों में है जो समावेशी और धर्मनिरपेक्ष हैं। यह बहुसंख्यक दक्षिणपंथियों को हमेशा से ही खटकता रहा है।
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आपत्ति तो इस पर होनी चाहिए कि जनसंचार के एक इतने जबर्दस्त माध्यम को कचरा परोसने का यंत्र क्यों बना दिया गया है। मुकदमा तो इस पर दर्ज होना चाहिए कि करोड़ों फूंक कर भी दर्शकों के सामने इस तरह की चीज क्यों परोसी जा रही है। क्या इसका शाहरुख की निजी महत्वाकांक्षा से कोई लेना-देना हो सकता है?
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