क्रांतिकारी सेनाएँ अब भी गांवों और कारखानों में हैं! भगत सिंह को याद करते हुए…

छोटी उम्र से ही उन्होंने आज़ादी के लिए संघर्ष किया और स्थापित ब्रिटिश हुकूमत की नींव हिलाकर हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ गये। शहीद हो गये, लेकिन अपने पीछे क्रांति और निडरता की वह विचारधारा छोड़ गये जो आज तक युवाओं को प्रभावित करती है।

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पॉलिटिकली Incorrect: जस्टिस काटजू तक पहुंचती आहटें, जिन्‍हें हम अनसुना किये बैठे हैं!

जस्टिस काटजू की हर बात में विवाद खोजने वाले भारत के कार्पोरेट मीडिया, वैकल्पिक मीडिया और लिबरल खेमे तक ने इस बयान को तवज्जो देना भी गवारा नहीं समझा। उन्होंने भी एक शब्द नहीं कहा, जो इससे मिलती-जुलती बातें वर्षों से करते आ रहे हैं।

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