आजकल गाँवों में उद्योग लगाने के लिए लोगों को आपस बाँट कर जमीन कैसे ली जाती है?

इस सब के बावजूद इस तरह की घटनाएं हुई हैं जब प्रभावित लोगों ने अपने बीच किसी तरह के विभाजन नहीं होने दिया और लगातार मिलकर परियोजना का विरोध जारी रखा। इस तरह की असाधारण स्थिति असाधारण समाधान की मांग भी करती है।

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पूंजी-विस्तार और संसाधनों की लूट के बीच हाशिये की औरतों की जिंदगी, श्रम और प्रतिरोध

जाति, जातीयता, वर्ग के पदानुक्रम और राज्‍य के प्रभुत्‍व सहित कलंकीकरण के सभी औज़ारों के साथ मिलकर पितृसत्‍ता औरतों के श्रम का शोषण करती है, उनकी आवाजाही व मेहनत पर नियंत्रण कायम करती है। नतीजतन, साधनों-संसाधनों तक उनकी पहुंच को और कम कर देती है।

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