जीवन में संविधान: रोजमर्रा की कहानियों में संवैधानिक मूल्यों को आत्मसात करने की कोशिश
इस किताब में 76 लघु कहानियां हैं। ये महज कहानियां नहीं हैं बल्कि किसी न किसी के साथ हुई सच्ची घटनाएं हैं जिन्हें कहानी के माध्यम से किताब में बयां किया गया है। लेखक ने इन सभी घटनाओं को बहुत ही सरल भाषा में कहानी में ढाला है। इन कहानियों के जीवंत पात्र बच्चे हैं, महिलाएं हैं, किशोर/किशोरियां हैं, युवा हैं, बुजुर्ग हैं, दलित हैं, आदिवासी है, गरीब हैं, वंचित तबकों से हैं।
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