प्रेस की आज़ादी का सवाल अब पत्रकार बिरादरी की चौहद्दी के भीतर हल नहीं हो सकता
मीडिया, सत्ताधारी दल और सरकार के इस फ्यूज़न का परिणाम यह है कि प्रेस की स्वतंत्रता के संकट का समाधान अब प्रेस बिरादरी के आंतरिक उपचारों, उपायों और नियामकों द्वारा नहीं हो सकता। प्रेस की आजादी अब सम्पूर्ण परिवर्तन द्वारा ही संभव है। यह सत्ता परिवर्तन ही नहीं होगा बल्कि इलेक्टोरल ऑटोक्रेसी को डेमोक्रेसी की ओर ले जाने वाला विचारधारात्मक परिवर्तन होगा।
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