इमरजेंसी: साल भर जेल काट चुके प्रबीर आज भी निशाने पर हैं, जब आपातकाल नहीं है!

शाह आयोग का निष्कर्ष था कि पीएस भिंडर ने डीपी त्रिपाठी के भ्रम में प्रबीर पुरकायस्थ को गिरफ्तार कर लिया और अपने इस कृत्य को सही ठहराने के लिए झूठमूठ के आरोप लगाकर प्रबीर के खिलाफ मीसा के तहत वारंट जारी करा दिया। बेशक, प्रबीर भी आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल थे लेकिन पुलिस उस दिन उन्हें नहीं बल्कि त्रिपाठी को पकड़ने गयी थी। चूंकि यह मामला सीधे-सीधे पीएम हाउस से जुड़ा था इसलिए किसी ने भिंडर की बातों को चुनौती नहीं दी।

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राग दरबारी: किस्से और हकीकत के बीच इमरजेंसी

कृष्ण कौशिक तो सूचना व मीडिया की बीट कवर करने वाले पत्रकार हैं इसलिए उन्‍हें यह खबर लिखने की जरूरत पड़ी होगी, लेकिन रितु सरीन तो इन देश की जानी-मानी खोजी खबर करने वाली पत्रकार हैं। क्या उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि जब भी ईडी या सीबीआई किसी के घर या दफ्तर पर छापे मारती है (अगर वह जेनुइन छापे भी हों) तब उस व्यक्ति का फोन व लैपटॉप सबसे पहले अपने कब्जे में ले लेती है?

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