प्रधानमंत्री जी! लोकतांत्रिक सरकार की गाड़ी बिना रिवर्स गियर के चलाने की कोशिश मत करिए!

आदरणीय मोदी जी बोले तो अवश्य किंतु उनके लंबे भाषण में प्रधानमंत्री को तलाश पाना कठिन था। कभी वे किसी कॉरपोरेट घराने के कठोर मालिक की तरह नजर आते जो अपने श्रमिकों की हड़ताल से नाराज है; कभी वे सत्ता को साधने में लगे किसी ऐसे राजनेता की भांति दिखाई देते तो कभी वे उग्र दक्षिणपंथ में विश्वास करने वाले आरएसएस के प्रशिक्षित और समर्पित कार्यकर्त्ता के रूप में दिखते।

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आर्टिकल 19: प्रधानमंत्री के डेढ़ घंटे तक चले भाषण को समझने के 10 सूत्र

इतने लंबे भाषण के जरिये वो साबित क्या करना चाहते थे? मोटे तौर पर दस सूत्रों में इसे समझना आसान होगा। इसको ठीक से समझना पड़ेगा क्योंकि उन्होंने बहुत सारी बातें सुलझाने के बजाय उलझा दी हैं।

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