नागरिकता पर सवाल उठाता IPTA का नाटक “धीरेंद्र मजूमदार की मां”
देश में औपनिवेशिक आजादी के लिए चले जन संग्राम का परिणाम सांप्रदायिक आधार पर देश विभाजन के रूप में सामने आया। देश के बंटवारे का दंश अनेक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को भी भुगतना पड़ा था जो विभाजन नहीं चाहते थे। ऐसे ही लोगों में धीरेंद्र मजूमदार की मां शांति मजूमदार भी थी। वह मां जिसकी चार संतानों ने अंग्रेजों से हुई लड़ाई में शहादत दी और बाकी चार ने बांग्लादेश के लिए चले मुक्ति संघर्ष में अपनी जान गंवाई।
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