हमारी, आपकी काल-बेला को लिखा है समरेश दा ने
पहली कहानी देश बांग्ला की प्रतिष्ठित पत्रिका देश में छपी। उपन्यास काल बेला के लिए उन्हें 1984 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।
Read MoreJunputh
पहली कहानी देश बांग्ला की प्रतिष्ठित पत्रिका देश में छपी। उपन्यास काल बेला के लिए उन्हें 1984 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।
Read Moreउनके ठीक होने की इच्छा, उनके अंतिम समय तक कुछ न कुछ सार्थक करने और सीखने का व्यक्तित्व हमेशा हमारी यादों में रहेगा। मौत तो सबको ही आती है लेकिन वे लोग मौत के बाद भी जीते हैं जो मौत के डर से जीते-जी हथियार नहीं डाल देते।
Read Moreसंसदीय राजनीति में प्रवेश का प्रचंड का यह पहला मौका था। उन्होंने शरद जी से कहा कि वह सत्ता संचालन के कुछ ‘टिप्स’ दें और शरद जी ने उनसे अपने बहुत सारे अनुभव साझा किये।
Read Moreबाबरी मस्जिद के विध्वंस ने विध्वंसक राजनीति को उकसाया। उस दौर में कांशीराम-मुलायम सिंह के गठजोड़ ने इसे थोड़े वक़्त के लिए ही सही मुकाबला किया। तब नारे लगते थे ‘लोहा कटे लोहरे से सोना कटे सोनारे से, जब मुलायमा हाथ मिलाए कांशीराम से’।
Read Moreउनका मानना था कि आज के समाज की बनावट और उसकी संस्कृतियां जिसमें उसका खान-पान भी शामिल है, उस पूर्ववर्ती समाज के साथ जुड़़ा हुआ होता है और वह हमारे समय तक आता है। यानी प्रागैतिहास इतिहास का जीवंत पन्ना होता है।
Read Moreएक पँक्ति में एजाज अहमद का परिचय यह है कि वो हमारे समय के अग्रणी मार्क्सवादी विचारकों में एक थे। उनकी किताब ‘इन थियरी…’ को साहित्य के सैद्धान्तिक विमर्शों की एक जरूरी किताब माना जाता है। मार्क्सवादी विचारकों से प्रभावित हम जैसे नौजवानों के लिए एजाज अहमद एक रोलमॉडल की तरह थे।
Read Moreजुलाई में हिंदुस्तान के पुराने पत्रकार और प्रेस क्लब के अध्यक्ष उमाकांत लखेड़ा ने नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव को अनुरोध किया था कि जुगनू जी को दिल्ली के बिहार निवास या सदन में शिफ्ट किया जाए। अगस्त में पत्रकारों और समाजकर्मियों ने उनकी मदद के लिए बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार को एक पत्र लिखा था। किसी गुहार पर सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली।
Read Moreउन्होंने 1975 से अपना काम शुरू किया और तत्कालीन नारीवादी आंदोलन का एक अहम चेहरा बनकर उभरीं। उनके काम की सबसे सुंदर बात या उनके काम की विरासत उनके द्वारा लिखे गए गीत हैं। कमला भसीन ने महिला आंदोलन को पहले गीत दिए। कोई भी लड़की अगर महिला आंदोलन से जुड़ेगी, किसी मोर्चे पर जाएगी तो वह ये गाने ज़रूर गाएगी। इनमें से एक गीत ये है-
Read More12 अगस्त को ब्रेन हैमरेज के कारण उन्हें मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में कोमा में जाने पर जीबी पंत अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां कल रात उन्होंने अंतिम सांस ली।
Read Moreसत्तर के दशक के आख़िर में उन्होंने कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी में सुनहरा अध्यापकीय जीवन छोड़कर भारत आने का चुनौतीपूर्ण निर्णय लिया। सामाजिक कार्यकर्ता भारत पाटणकर से विवाह कर वे महाराष्ट्र के एक गाँव में ही बस गयीं और वर्ष 1983 में उन्होंने भारत की नागरिकता भी ले ली।
Read More