राष्ट्र, राष्ट्रीयता और राष्ट्रवाद: जड़ों की तलाश और अनैतिहासिक दृष्टि का खतरा

तब भिन्नता के कारण नफरत का नहीं, स्नेह का संबंध बनता था। आज के आधुनिक भारत राष्ट्र की राष्ट्रीयता और उसका राष्ट्रवाद यदि अतीत की इस समावेशी प्रवृत्ति का वरण करते हैं, तो यह हमारी गौरवशाली परम्परा का सबसे बड़ा सम्मान होगा।

Read More

हर्फ़-ओ-हिकायत: राष्ट्रवाद के भीतर पनपता हिंसक राज्यवाद और अपने अतीत से विमुख समाज

जिन राज्यों के बीच सीमा विवाद या जल विवाद है उनका अस्तित्व ही ज्यादा से ज्यादा पचास वर्षों का है। ऐसे में अगले पचास वर्षों में कौन सा राज्यवाद आकार लेगा ये कहना मुश्किल है, लेकिन इतिहास बता रहा है कि हमारे समाज को अपने अतीत में कोई दिलचस्पी नहीं है या फिर हमने इतिहास लेखन में भारी गलती कर दी है, जो लोगों को प्रेरणा देना तो दूर समझ ही में नहीं आ रहा है।

Read More