छान घोंट के: भारतीय राष्ट्रवाद के खिलाफ हिंदू और मुस्लिम सांप्रदायिकता का साझा इतिहास
मोहम्मद अली जिन्ना द्वारा दो-राष्ट्र सिद्धांत अपनाने के बहुत पहले से सावरकर इस सिद्धांत का प्रचार कर रहे थे और दोनों ही भारतीय राष्ट्रवाद के खिलाफ थे। एक खास गौरतलब तथ्य है कि मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन (मार्च 1940) में पाकिस्तान प्रस्ताव पारित करते समय जिन्ना ने अपने दो-राष्ट्र सिद्धांत के पक्ष में सावरकर के उपरोक्त कथन का हवाला दिया था।
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