हर्फ़-ओ-हिकायत: कालेलकर आयोग के आईने में ओबीसी आरक्षण का अंतिम दांव

ऐतिहासिक विवादों वाले बीते मॉनसून सत्र में सर्वसम्मति से पास ओबीसी कानून में संशोधन ने  राज्य सरकारों के ये अधिकार दे दिया है कि वे अपने राज्य के लिए अन्य …

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राग दरबारी: अर्नब को मीडिया सहित तमाम लोकतांत्रिक संस्थानों ने बरी क्यों कर दिया है?

हमें यह भी याद रखने की जरूरत है कि अर्नब गोस्वामी के निजी मोबाइल का कोई भी चैट अभी तक सामने नहीं आया है। जब वे चैट बाहर आएंगे तब पता नहीं उसमें और कितने लोगों से कितनी तरह की सूचनाओं के आदान-प्रदान का पता चलेगा!

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हिन्दी पट्टी के किसान आंदोलनों को कैसे निगल गयी मंडल की राजनीति और उदारीकरण

औपनिवेशिक काल और आजादी के बाद के पांच दशकों तक इन दोनों प्रदेशों में किसान आंदोलन जिंदा रहे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों खासकर 1990 के बाद इन प्रदेशों में किसान आंदोलन के कोमा मे चले जाना एक पूरी प्रक्रिया का परिणाम है।

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बी.पी. मण्‍डल: एक मुसहर को सांसद बनाने वाला ओबीसी समाज का मसीहा

सामाजिक न्याय और सामाजिक परिवर्तन की लड़ाई के तत्कालीन नेतृत्वकर्ता बी. पी. मण्डल का जन्म 25 अगस्त, 1918 को बनारस में हुआ था। बी. पी. मण्डल का जन्म जब हुआ तो उनका परिवार बहुत ही बुरे दौर से गुजर रहा था।

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