‘अंतिका’ का पचपनिया विमर्श: ब्राह्मणों के हाथ से खिसक रही है मैथिली की सत्ता
ये सच है कि मैथिली भाषा पर जिनकी सत्ता है और इस भाषा के सरकारी और गैर सरकारी संस्थान पर जिनका वर्चस्व है वो इतनी जल्दी खत्म नहीं होने वाली है। मगर जिस तेजी से मैथिली के सोशल डायनामिक्स का पहिया घूम रहा है तो वो दिन अब दूर नहीं जब मैथिली की सत्ता मैथिल ब्राह्मणों के हाथ से खिसक कर मैथिली भाषा के मूल हकदार बहुजन और दलितों के हाथ में चली जाएगी।
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