देशान्‍तर: बारूद के ढेर पर बैठे लेबनान में उगते इंक़लाब के फूल

इस बात का कोई जवाब नहीं है कि विस्फोट कैसे हुआ, किसने किया, यह बारूद का ढेर क्यों और कैसे इतने समय तक इकट्ठा हुआ और जहाज़ किसका था और वहां क्यों था? मलबे का ढ़ेर अभी पूरी तरह साफ़ भी नहीं हुआ है, लेकिन लेबनान हमेशा की तरह एक अंतर्राष्ट्रीय राजनैतिक अखाड़ा बना हुआ है। इस सप्ताह का देशांतर लेबनान के राजनैतिक हालात और अक्टूबर से चल रहे आंदोलन के ऊपर, जिसे अक्टूबर क्रांति भी कहा जा रहा है।

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डिक्‍टा-फिक्‍टा: संकटों से घिरा लेबनान और ताज़ा विस्फोट

कस्टम के अधिकारियों ने 2014 में दो दफ़ा, एक बार 2015 और 2017 में तथा दो बार 2016 में न्यायालय को मसले को सुलझाने के लिए लिखा था, जिसमें इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटकों के रखने के ख़तरे को साफ़-साफ़ ज़ाहिर किया गया था.

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