क्या लालू और उनकी पार्टी का राजनीतिक शुद्धिकरण कर रहे हैं तेजस्वी?

ऐसा पहली बार है जब बिहार के चुनाव में बात नौकरी और रोजी-रोटी की हो रही है और ये सब उस पार्टी से हो रही है जिसके सरकार पर बिहार में जंगलराज लाने का आरोप लगाया जाता रहा है. अचानक से चुनावी पोस्टर-बैनर और पर्चे से लालू का गायब हो जाना क्या सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है या फिर राजद में लालू युग का ‘द एंड’ हो गया है?

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भाषणों के आईने में लालू प्रसाद यादव

लेखक और संपादक अरुण नारायण ने सदन में दिये गये लालू प्रसाद के भाषणों का एक प्रतिनिधि संकलन निकाला है। इनकी इस प्रकाशित किताब का नाम ‘सदन में लालू प्रसाद: प्रतिनिधि भाषण’ है। यह किताब दिल्ली के ‘द मार्जिनलाइज्ड पब्लिकेशन’ ने प्रकाशित की है। अरुण नारायण ने इस किताब के भीतर लालू प्रसाद के भाषणों को बड़ी सूझ-बूझ और बौद्धिकता के साथ सात खण्डों में संपादित किया है।

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