“मोदी जी, जेपी के विचारों से आप कितनी दूर चले गए हैं, कृपया इस पर विचार करें”!

अगर महात्मा गाँधी भारत को 1947 में मिली स्वतंत्रता के वास्तुकार थे, जो इमरजेंसी के कारण 25/26 जून, 1975 को बुझ सी गयी, वो जेपी थे जिन्होंने उसे 1977 में पराजित कर हमें हमारी दूसरी स्वतंत्रता दिलाई. उनकी प्रशंसा में भारत की जन ने उन्हें ‘लोकनायक’ एवं ‘दूसरा महात्मा’ कह कर पुकारा. क्या आपको वो जेपी याद है, श्रीमान मोदी?

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चुनावीबिहार-5: भाजपा के धुरंधरों को नहीं पता कि उनके पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक चुकी है!

जिस तरह प्रधानसेवक नरेंद्र मोदी ने सारे पड़ोसियों से संबंध एक समान स्तर पर बिगाड़े हैं, भाजपा ने मिथिलांचल से लेकर भोजपुर तक अपने कैडर्स को एक जैसा नाराज़ किया है।

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संपूर्ण क्रांति की वर्षगांठ पर समाजवादियों की ऑनलाइन कांफ्रेंस, एकजुटता की अपील

भारत और चीन के बीच शांति का रास्ता तिब्बत से होकर गुजरता है  –  प्रो .आनंद कुमार  लाकडाउन से विस्थापित हुए हर श्रमजीवी परिवार को 6 महीने के लिए प्रतिमाह …

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