वियना में सपना उर्फ़ न्यूक्लियर डील के सोलह साल

18 जुलाई 2005 को हिन्दुस्तान नाम की ‘तूफ़ान से निकालकर लायी कश्ती’ ने खुद को ऐसे ग्लोबल जहाज से जोड़ लिया जिसे हांकने का तरीका, रफ़्तार, ईंधन और तासीर सब कुछ काफी अलग था। और इसलिए इस ‘डील’ के बाद देश की राजनीति, समाज और हमारी सामूहिक नैतिकता में कई खामोश लेकिन दूरगामी परिवर्तन संपन्न हुए, जिनमें से कुछ की शुरुआत नब्बे के दशक के व्यापार समझौतों से हुई थी।

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