पंखे उतार देने से खुदकुशी नहीं टलती! असल सवाल मानसिक समस्या की स्वीकारोक्ति का है

भौतिक रूप से हमने काफ़ी तरक्की की है परन्तु वैचारिक रूप से हम अब भी यही मानते हैं कि मानसिक समस्याएं सिर्फ बड़ी उम्र के लोगों की समस्याएं हैं। इसी वैचारिक ढाँचे की वजह से हम युवाओं की मानसिक समस्याओं को स्वीकार ही नहीं कर पाते हैं। स्वीकारोक्ति किसी भी समस्या के समाधान की पहली सीढ़ी है।

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