जाति के सवाल पर बनी पहली कम्युनिस्ट पार्टी के संदर्भ में ‘माफुआ’ का विश्लेषण व सीमाएं

बंकिमचंद्र द्वारा निर्मित मुसलमान का मोनोलिथ हिंदू मोनोलिथ निर्माण प्रक्रिया की शुरुआत करता है। जाति व्यवस्था हिंदू धर्म का हिस्सा है, ऐसा कहते डॉ. आंबेडकर मोनोलिथ पक्का करते हैं और उस मोनोलिथ से बाहर निकलने के लिए धर्मातरण कर धर्म नाम के मोनोलिथ को और पक्का करते हैं। बंकिमचंद्र से लेकर बाबा साहब तक धर्म को मोनोलिथ बनाने की यात्रा विश्व पूंजीवाद के लिए उपकारक सिद्ध हुई है।

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बात बोलेगी: हिंदू थक कर सो गया है तब तो ये हाल है, जागेगा तो क्या होगा डाक साब?

डॉ. साहब की चिंता समझ में आती है, लेकिन उसका निदान वो किससे मांग रहे हैं यह समझ नहीं आया, हालांकि उन्होंने देश का ध्यान इस महान तथ्य की तरफ दिलाया है कि यह देश दो-दो महान सत्ताओं के संरक्षण में मानवाधिकारों से सम्पन्न जम्हूरियत के मज़े लेता आ रहा है।

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दक्षिणावर्त: अपने ब्रह्म और आत्‍म से दूर होता हिंदू

सनातन संस्कार में समय का टुकड़ा, जिसे हम काल के नाम से जानते हैं, वह बहुत ही दूसरे अर्थों में इस्तेमाल किया जाता है, यदि इसे हम टाइम या समय के संदर्भ में देखें तो। यही वजह है कि आपको भारतवर्ष के शताब्दियों से गर्वोन्नत मंदिरों, स्थापत्य के चमत्कार गगनचुंबी धरोहरों के निर्माताओं का नाम कहीं नहीं मिलेगा।

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