तन मन जन: कोरोना ने प्राइवेट बनाम सरकारी व्यवस्था का अंतर तो समझा दिया है, पर आगे?

स्वास्थ्य और उपचार का सवाल जीवन से जुड़ा है और यह हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। स्वास्थ्य सेवाओं को निजीकरण के जाल से बाहर निकाले बगैर आप स्वस्थ मानवीय जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। अभी भी वक्त है। जागिए और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की गारन्टी के लिए आवाज बुलंद कीजिए।

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मोदी सरकार और स्वास्थ्य का अमेरिकी मॉडल

मोदी सरकार उस अमरीका की नीतियों को भारत में लागू करना चाहती है जो आज़ादी के बाद से ही भारत के विकास में रोड़े अटकाता और पाकिस्तान के माध्यम से भारत को परेशान करता रहा है। स्‍वास्‍थ्‍य की पुरानी सरकारी व्यवस्था में बजट को और बढ़ाने की ज़रूरत थी लेकिन मोदी सरकार सामाजिक सुरक्षा के खर्च में कटौती करके उसे बर्बाद करने में लगी है।

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