विद्यार्थियों के लिए एक शोकगीत
अपने आसपास की दुनिया को ध्यान से पढ़ने वाले सभी लोगों को पहले से लग रहा था कि इस महामारी को डिजिटल तकनीकी के प्रसार के लिए बहाने के तौर पर प्रयोग किया जायेगा. यह आशंका सही सिद्ध हो गयी है।
Read MoreJunputh
अपने आसपास की दुनिया को ध्यान से पढ़ने वाले सभी लोगों को पहले से लग रहा था कि इस महामारी को डिजिटल तकनीकी के प्रसार के लिए बहाने के तौर पर प्रयोग किया जायेगा. यह आशंका सही सिद्ध हो गयी है।
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इतालवी दार्शनिक जॉर्जो आगम्बेन कोविड के दौर में चर्चा में रहे हैं। अकादमिया में संभवत: वे पहले व्यक्ति थे, जिसने नावेल कोरोना वायरस के अनुपातहीन भय के खिलाफ आवाज़ उठाई। कोविड से संबंधित उनकी टिप्पणियों का हिंदी अनुवाद प्रमोद रंजन की शीघ्र प्रकाश्य पुस्तक “भय की महामारी” के परिशिष्ट में संकलित है।
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