‘जंगल हमारे मैत हैं’ कहने वाली चिपको आंदोलन की प्रणेता गौरा देवी को लोगों ने भुला दिया!
सीमित ग्रामीण दायरे में जीवनयापन करने के बावजूद वह दूर की समझ रखती थीं। उनके विचार जनहितकारी थे जिसमें पर्यावरण की रक्षा का भाव निहित था, नारी उत्थान और सामाजिक जागरण के प्रति उनकी विशेष रुचि थी। गौरा देवी जंगलों से अपना रिश्ता बताते हुए कहतीं थीं कि “जंगल हमारे मैत (मायका) हैं”।
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