ग्राउन्ड रिपोर्ट: दिल्ली को घेरे बैठे किसान, गाँव-कस्बों के गरीबों में पनप रहा है राशन विद्रोह!

इन दिनों यूपी, बिहार, मध्‍यप्रदेश, झारखंड से लगातार ऐसे छोटे-मोटे प्रदर्शनों की खबरें आ रही हैं जहां गरीब परिवार की महिलाएं और पुरुष रास्ता जाम कर बैठे हैं. उनका कहना है कि डीलर उन्हें राशन नहीं दे रहा, कम राशन दे रहा है या खराब गुणवत्ता वाले राशन का वितरण गरीब, निर्धन समाज में किया जा रहा है!

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तीनों कृषि विधेयक केवल किसानों पर ही नहीं, हमारी थाली पर भी सीधा हमला हैं!

विधेयक में स्पष्ट कहा गया है कि जब तक अनाज व तेल के दाम पिछले साल के औसत मूल्य की तुलना में डेढ़ गुना व आलू-प्याज, सब्जी-फलों के दाम दोगुने से ज्यादा नहीं बढ़ेंगे, तब तक सरकार कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी। इसका अर्थ है कि खाद्य वस्तुओं में महंगाई को 50-100% की दर से और अनियंत्रित ढंग से बढ़ाने की कानूनी इजाज़त दी जा रही है

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मुफ्त अनाज का उठाव नहीं, जरूरतमंदों को खाद्यान्न सुरक्षा से वंचित कर रही है छग सरकार: किसान सभा

प्रति व्यक्ति 5 किलो चावल मुफ्त देने की केंद्र की घोषणा के अनुसार प्रदेश के 40 लाख लोगों को कुछ राहत पहुंचाई जा सकती है लेकिन राज्य सरकार ने केवल 944 टन चावल का उठाव किया है, जो अधिकतम 95 हजार लोगों के बीच ही वितरित किया जा सकता है।

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