आंदोलनकारी किसानों और सरकार के बीच बनी सहमति
खनौरी बार्डर पर किसान नेताओं ने एक तरह से इसको अपने प्रयासों की जीत के रूप में प्रस्तुत किया है लेकिन अभी तक अन्य किसान जो आमरण अनशन पर बैठे है उसके बारे में कोई फैसला नहीं किया गया
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खनौरी बार्डर पर किसान नेताओं ने एक तरह से इसको अपने प्रयासों की जीत के रूप में प्रस्तुत किया है लेकिन अभी तक अन्य किसान जो आमरण अनशन पर बैठे है उसके बारे में कोई फैसला नहीं किया गया
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हमारे समाज में मौजूद गहरी विभाजक रेखाओं के बावजूद हाल के किसान आंदोलन के क्रम में बनी जबर्दस्त एकता ने घोर अहंकारी सरकार को भी हिला दिया। इस एकता को बनाए रखना जरूरी है। इसके लिए यह जरूरी है कि एमएसपी तय करने में छोटे किसानों और भूमिहीन मजदूरों की जरूरतों का खास तौर पर खयाल रखा जाए।
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इस नीरस और निराशाजनक बजट की प्रशंसा के लिए एक अनूठा और हास्यास्पद तर्क गढ़ा गया- पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के बाद भी सरकार ने आम लोगों को राहत पहुंचाकर उनका दिल जीतने की कोशिश नहीं की, कोई लोकलुभावन घोषणा इस बजट में नहीं की गई।
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एक आंदोलनकारी के रूप में हमने महसूस किया है कि आंदोलनकारी कुछ बुनियादी लक्ष्य को लेकर आंदोलन करते हैं जिनके मन में ढेर सारे सपने रहते हैं। ऐसे में जब यह चुनाव में उतरने का फैसला करते हैं तो उसी सपने या आदर्श को लेकर सामने आते हैं लेकिन उनके सामने वहां पर एक अलग तरह की परिस्थिति नजर आती है जो उनके आदर्श से बिल्कुल विपरीत रहती है।
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सांत्वना बहुत लोग गेहूं की रोटी खाते हैं चावल खाते हैं कुछ ज्वार बाजरा मक्का भी खाते हैं दलहन तिलहन सब्जी और फल खाते हैं उनके विभिन्न उत्पाद और व्यंजन …
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आज पूरा देश जानता है कि अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र ही भाजपा की केन्द्र सरकार आज किसानों के सामने झुकने को मजबूर हो गयी है।
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यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत सरकार विरोध कर रहे किसानों से की गयी अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर रही है और भविष्य की कार्रवाई का खाका तैयार करने के लिए एसकेएम की अगली बैठक 15 जनवरी को दिल्ली में आयोजित की जाएगी।
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संयुक्त किसान मोर्चा ने शनिवार को एक महत्वपूर्ण बैठक की और भारत सरकार से औपचारिक व संतोषजनक प्रतिक्रिया प्राप्त न होने तक किसान आंदोलन को जारी रखने का निर्णय किया। एसकेएम ने लंबित मुद्दों को हल करने के लिए भारत सरकार के साथ बातचीत करने के लिए अशोक धवले, बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चढूनी, शिव कुमार कक्काजी और युद्धवीर सिंह की पांच सदस्यीय समिति का गठन किया।
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पूर्व घोषणा अनुसार, स्थिति का जायज़ा लेने और किसान आंदोलन के आगे के कदमों के बारे में निर्णय लेने के लिए एसकेएम के सभी घटक संगठनों की बैठक 4 दिसंबर को होगी । एसकेएम बैठक की पूर्ववत सिंघू बॉर्डर पर होगी। इस बैठक में प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उठाए गए विभिन्न बिन्दुओं और भविष्य में लिए जाने वाले फैसलों पर चर्चा होगी।
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जनता को अब यह मांग करनी ही पड़ेगी कि भारत सरकार विश्व व्यापार संगठन से अपने पांव वापस खींचे, उसके चंगुल से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था से जुड़े फैसलों को मुक्त करे और देश को बहुराष्ट्रीय साम्राज्यवादी कंपनियों के बजाय जनता की हित में चलाए।
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