किसानों के खिलाफ करदाताओं को खड़ा करने वाले विभाजनकारी अर्थशास्त्र के सहारे सरकार

अनेक ऐसे आलेखों और विश्लेषणों से समाचार माध्यम भरे पड़े हैं जिनका सार संक्षेप मात्र इतना ही है कि किसानों का यह अनुचित और मूर्खतापूर्ण हठ पूरे देश को ले डूबेगा। जो तर्क दिए जा रहे हैं वह पुराने जरूर हैं लेकिन उनकी प्रस्तुति में जो आक्रामकता अब है वह पहले नहीं थी।

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