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गाहे-बगाहे: सूरत में कटे-फटे नोट बिना बट्टे के चल जाते हैं!
चाहे नोट दो ही टुकड़ों में क्यों न फट चुका हो लेकिन हर कोई बेझिझक उसे स्वीकारता है जबकि मुम्बई और दिल्ली जैसे शहरों में जरा सा मुड़ा-तुड़ा नोट चलाना भी बिना चार बात सुने असंभव है. भारतीय करेंसी का इतना सहज स्वीकार, उस शहर में जहां हज़ार के नोटों की उपस्थिति स्वाभाविक रूप से अधिक हो सकती है, सचमुच एक आश्चर्य ही था.
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